
जन्म से मिले रिश्ते तो प्रकृति के देन है लेकिन खुद के बनाए रिश्ते
आपकी पूंजी है। इन्हें सहेज कर रखिए। रिश्तों पारदर्शिता होना वैसे ही जरूरी है जैसे मछली के लिए पानी और इंसानों के लिए
हवा जरूरी है। अगर हम रिश्तों में खुलापन नही रखेंगे तो इससे एक खीचाव बीच में रहेगा जो संबंधों की प्रगाड़ता ठेस पहुंचा सकता है।
बेहतर ये होगा की हम सच्चाई के साथ अपने संबंधों को संजो के रखें ऐसी कोशिश करें की ईश्वर के और खुद के बनाए रिश्तों में अटूट विश्वास, और स्नेह हो इससे जीवन में आनंद की प्राप्ति होगी।