मोदी सरकार कारोबारियों को सहूलियत देने के लिए जीएसटी कानून में बदलाव की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही यूपीआइ और आधार जैसे पब्लिक प्लेटफार्म में भी चुनिंदा बदलावों पर विचार चल रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि कंपनियां कारोबार का आकार और स्तर बढ़ाने के लिए डाटा का भरपूर उपयोग कर सकें। यह जानकारी वित्त पर संसद की स्थायी समिति के चेयरपर्सन जयंत सिन्हा ने दी।
सिन्हा ने उद्योग संगठन एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि यूपीआइ और आधार जैसे प्लेटफार्म बेहद महत्वपूर्ण हैं। हमें इन प्लेटफार्म के आंकड़ों का बेहतरीन उपयोग करने के तरीकों पर काम करना होगा। वे ‘नान-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग : ट्रांसफार्मिंग द फाइनेंशियल लेंडिंग लैंडस्केप” विषय पर वर्चुअल माध्यम से हुए इस कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जीएसटी देश की व्यावसायिक रीढ़ बन रहा है। इसलिए सरकार हर वह कदम उठाने के लिए तैयार दिख रही है जो कारोबारियों को मदद पहुंचा सकें। सरकार देश्ा को तेजी से 10 लाख करोड़ डालर मूल्य की इकोनमी बनाने की दिशा में काम कर रही है। ऐसे में पब्लिक प्लेटफार्म और प्राइवेट इनोवेशन, दोनों को मिलकर काम करना होगा।
सिन्हा के अनुसार इकोनमी की प्रगति में पब्लिक प्लेटफार्म की हिस्सेदारी सिर्फ 10 प्रतिशत से भी कम होगी। दूसरी तरफ 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी निजी कंपनियों और कारोबारियों की होगी, जिनका जोर इनोवेशन पर रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश के लिए अच्छी बात यह है कि कंपनियों के लिए बाजार में इस समय पूंजी की कोई कमी नहीं है।