रायपुर, 5 अप्रैल 2025। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर पंडुम उत्सव के मंच से बस्तर के बदलते स्वरूप की तस्वीर पेश करते हुए कहा कि अब बस्तर नक्सलवाद के साये से बाहर आकर विकास की रफ्तार पकड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह परिवर्तन स्थायी होगा और आने वाले समय में बस्तर अपने सुनहरे दिनों की ओर लौटेगा।
बस्तर की जनता विकास की मुख्यधारा से जुड़ने को तैयार
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन इस जनभावना के प्रतीक हैं कि अब क्षेत्र की जनता नक्सलवाद से मुक्ति चाहती है और शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, रोजगार जैसे विषयों पर आगे बढ़ना चाहती है।
नक्सलवाद के खात्मे का संकल्प – 31 मार्च 2026 तक लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र और राज्य सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के समूल नाश का संकल्प लिया है। छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से उल्लेखनीय सफलता मिल रही है।
बस्तर: प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत मेल
बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अबूझमाड़, जलप्रपात, जनजातीय परंपराएं और त्यौहार यहां की विशेषता हैं। बस्तर पंडुम में 47 हजार कलाकारों और बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख युवाओं की भागीदारी इस बदलाव की सशक्त तस्वीर है।
‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को बल देता बस्तर पंडुम
ओड़िशा, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से आए 47 हजार कलाकारों ने इस उत्सव को राष्ट्रीय एकता का स्वरूप दिया। बस्तर की संस्कृति, खानपान, और लोक जीवन की झलक हर दर्शक के लिए अद्वितीय अनुभव रही।
डबल इंजन सरकार की योजनाओं से ज़िंदगी में बदलाव
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना, किसानों के लिए सहायता योजनाएं और 70 लाख महिलाओं को लाभ देने वाली महतारी वंदन योजना जैसे प्रयास राज्य को नई दिशा दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री जनमन और धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना का असर
पीएम जनमन योजना से विशेष जनजातियों तक मूलभूत सुविधाएं पहुँचाई जा रही हैं। वहीं 80,000 करोड़ की लागत वाली धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना से 6,500 जनजातीय गांवों में समग्र विकास सुनिश्चित होगा।
नियद नेल्लानार योजना से गांवों में लौट रही है रौशनी और शिक्षा
100 से अधिक गांवों में खुले सुरक्षा कैंपों से शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधा पहुँच रहा है। अब गोलियों की जगह स्कूल की घंटी सुनाई देती है।
बस्तर पंडुम – सांस्कृतिक समरसता का अनोखा उत्सव
45 दिन तक चले इस उत्सव ने बस्तर को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है। बस्तर की संस्कृति को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी स्थान मिला है।
राज्य नेतृत्व की प्रतिबद्धता और जनभावनाओं की जीत
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और अरुण साव सहित अन्य नेताओं ने भी बस्तर के प्रति केंद्र और राज्य की प्रतिबद्धता को दोहराया और इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया।









