मंत्री रविन्द्र चौबे के विभागों के लिए 16794 करोड़ 55 लाख 24 हजार रुपए की अनुदान मांगे पारित

प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 3238 करोड़ का प्रावधान,वर्ष 2019-20 की तुलना में कृषि और संबद्ध विभागों के बजट में 30 प्रतिशत की वृद्धि,प्रदेश में रबी फसलों का रकबा 24 प्रतिशत बढ़ा,राजीव गांधी किसान न्याय योजना में किसानों को अब तक 18,570 करोड़ रूपए की इनपुट सब्सिडी,163 मोबाइल वेटनरी बैंक के माध्यम से पशुओं का होगा इलाज,पिछले 4 वर्षों में मत्स्य उत्पादन में 29 प्रतिशत की वृद्धि

रायपुर.छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज संसदीय कार्य, कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, जल संसाधन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रविन्द्र चौबे के विभागों के लिए कुल 16794 करोड़ 55 लाख 24 हजार रुपए की अनुदान मांगे सर्वसम्मति से पारित की गईं। इनमें राज्य विधान मंडल के लिए 79 करोड़ 88 लाख 47 हजार रुपए, कृषि विभाग के लिए 5354 करोड़ 96 लाख 13 हजार रुपए, पशुपालन विभाग के लिए 526 करोड़ 83 लाख 57 हजार रुपए, मछलीपालन विभाग के लिए 93 करोड़ 22 लाख 51 हजार रुपए, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा से संबंधित व्यय के लिए 315 करोड़ नौ लाख दस हजार रुपए, जल संसाधन विभाग के लिए 1254 करोड़ दो लाख 69 हजार रुपए, लघु सिंचाई निर्माण कार्य के लिए 841 करोड़ 84 लाख 33 हजार रुपए, जल संसाधन विभाग से संबंधित नाबार्ड से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 614 करोड़ 71 लाख रुपए, जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 76 करोड़ 20 लाख रुपए, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के लिए 4402 करोड़ 59 लाख 90 हजार रुपए तथा त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता के लिए 3235 करोड़ 17 लाख 54 हजार रुपए शामिल हैं।संसदीय कार्य, कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, जल संसाधन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 85 प्रतिशत आबादी कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर निर्भर है, बांकी अन्य 15 प्रतिशत भी इन्हीं से जुड़े हुए हैं। हमने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कृषि को केन्द्र में रखकर कार्य किया। इस कारण आज कृषि तथा अन्य संबंधित क्षेत्रों में प्रगति हो रही है। बीजापुर जैसे क्षेत्र में जहां साल में दो से तीन ट्रैक्टर की बिक्री होती थी, वहां ट्रैक्टर की दुकान खुल गई है। उन्होंने कहा कि कृषि तथा उससे संबद्ध विभाग के बजट में वर्ष 2019-20 की तुलना में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2017-18 में 38.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 8623.5 हजार मीटरिक टन धान का उत्पादन हुआ, वहीं यह वर्ष 2022-23 में 39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 140 लाख मीटरिक टन उत्पादन अनुमानित है। वर्ष 2017-18 में 12 लाख किसानों से 57 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की गई थी, जबकि 2022-23 में 23.42 लाख किसानों से 107 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की गई। उन्होंने कहा कि विगत चार वर्षों में रबी फसलों के रकबे में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही दलहनी फसलों के क्षेत्र में 84 हजार हेक्टेयर और लघु धान्य फसलों (कोदो, कुटकी व रागी) के रकबे में 40 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।श्री चौबे ने कहा कि हमने मिलेट्स मिशन की शुरूआत की और कोदो, कुटकी व रागी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी की दर तय की। प्रदेश में वर्ष 2021-22 में 52 हजार 728 क्विंटल तथा इस वर्ष अब तक 39 हजार 410 क्विंटल कोदो, कुटकी एवं रागी की खरीदी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत खरीफ वर्ष 2021 के लगभग 23 लाख किसानों को अंतिम किश्त सहित 7028 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। साथ ही इनपुट सब्सिडी के रूप में 18 हजार 570 करोड़ रूपए का भुगतान अंतिम किश्त सहित किया जाएगा। श्री चौबे ने कहा कि गन्ना उत्पादक किसानों के लिए 60 करोड़ रूपए का प्रावधान बजट में किया गया है। कबीरधाम जिले के पंडरिया के कृषकों से 459.40 रूपए प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीदी की गई, जो पूरे देश की दर से अधिक है।कृषि मंत्री श्री चौबे ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में हमारे गोधन न्याय योजना की प्रधानमंत्री ने स्वयं प्रशंसा की थी। आज हमारे गौठान अर्थव्यवस्था की धुरी बनने जा रहे हैं। कई राज्य इसे लागू करने जा रहे हैं। पहले हमारे नेशनल हाईवे में करीब 300-400 गायों की मौत होती थी, आज यह आंकड़ा 10 प्रतिशत नहीं है। रायपुर, बिलासपुर रोड पर दुर्घटना में होने वाले गायों की मौत न्यूनतम हो गई है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत 3 लाख 28 हजार हितग्राहियों से कुल 106 लाख 50 हजार क्विंटल गोबर क्रय गया है, जिसके विरूद्ध 212 करोड़ 99 लाख रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। वर्ष 2023-24 में भी 175 करोड़ 10 लाख रूपए बजट का प्रावधान गोधन न्याय योजना के लिए रखा गया है।श्री चौबे ने कहा कि कृषि यांत्रिकी सबमिशन योजना के तहत वर्ष 2012-13 से 2017-18 तक कुल 1087 ट्रेक्टर अनुदान पर वितरित किए गए थे, जबकि हमारी सरकार द्वारा अब तक कुल 2827 ट्रेक्टर अनुदान पर कृषकों को वितरित किए गए हैं जो कि लगभग तीन गुना है। साथ ही वर्ष 2022-23 में पहली बार शासन की पहल से 44 कम्बाइन हार्वेस्टर कृषकों को अनुदान पर वितरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के कार्यकाल में अब तक 2266 कृषि यंत्र सेवा केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैं। प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में 455 किसान कुटीर बनाए जा रहे हैं।श्री चौबे ने कहा कि विगत 4 वर्षो में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 76 हजार 634 हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलों का विस्तार करते हुए कुल 8.64 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से एक करोड़ 12 लाख मीटरिक टन उत्पादन किया गया है। उद्यानिकी फसलों के कृषकों को भी शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है। खैरागढ़ में हाईटेक नर्सरी की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 तक कृषि-उद्यानिकी की 19 शासकीय महाविद्यालय प्रारंभ किए गए थे, जबकि हमारी सरकार द्वारा सिर्फ 4 वर्षों में ही 19 कृषि-उद्यानिकी महाविद्यालय प्रारंभ कर दिए गए हैं। वर्ष 2023-24 में पांच नए उद्यानिकी महाविद्यालय प्रारंभ किए जाएंगे।कृषि मंत्री श्री चौबे ने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष में पशुधन विकास विभाग के अंतर्गत 163 मोबाइल वेटनरी यूनिट की स्थापना की जाएगी। इनके माध्यम से गौठानों व गांवों में पशुओं का उपचार, टीकाकरण और माइनर सर्जरी जैसे कार्य किए जाएंगे। इसके अलावा प्रदेश में 25 नए पशु औषधालय और 14 औषधालयों का पशु चिकित्सालय में उन्नयन के प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चला है और विगत चार वर्षो में मत्स्य उत्पादन में 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। मछलीपालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। केज कल्चर के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य है। वर्ष 2017-18 तक कुल 676 केज लगाए गए थे, मगर हमने चार वर्षों में 4345 केज लगाए हैं। इस प्रकार अब तक 30 जलाशयों में 5021 केज लगाए गए हैं। मछलीपालन विकास के लिए वर्ष 2023-24 में 20655 लाख 86 हजार रूपए का बजट प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13.53 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रूपांकित सिंचाई क्षमता 13 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गई है। वर्ष 2023-24 के बजट में विभिन्न वृहद, मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए 300 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि सरकार ने जनप्रतिनिधों का सम्मान लगातार बढ़ाया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को उनकी मांग से अधिक निधि, वेतन और अधिकार प्रदान किया है। ग्राम पंचायतों को 50 लाख रूपए तक के काम के लिए निर्माण एजेंसी के रूप में काम करने का अधिकार दिया गया है। श्री चौबे ने कहा कि अधिसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज को और सशक्त करने के लिए ‘पेसा’ कानून के लिए नियम बनाकर लागू किया गया है। छत्तीसगढ़ ऐसा करने वाला देश का छटवां राज्य है। उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदेश की पंचायतीराज संस्थाओं को जहां वर्ष 2019, 2020 और 2021 में 11-11 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, वही 2022 में 12 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

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