
मांगलिक अवसर पर नेग मांगने वाले किन्नर समाज को याचक की भूमिका रास नहीं आ रही है। वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहते हैं, ताकि किसी से कुछ मांगना नहीं पड़े। इसके लिए मेहनत कर रहे हैं। वे लिंग परिवर्तन तक करा रहे हैं ताकि अन्य स्त्री-पुरुषों की तरह सामान्य जीवन जी सकें। दिल्ली में 63 ट्रांसमैन और ट्रांसगर्ल कैब चालक लिंग बदलने के लिए इन दिनों हार्मोन थेरेपी ले रही हैं। उनका दर्द इसी से समझा जा सकता है कि किन्नर नाम से भी आपत्ति है। उनका कहना है कि किन्नर शब्द गाली जैसे चुभता है। हम ट्रांसमैन और ट्रांसगर्ल हैं। हमें इसी नाम से बुलाए, यही हमारी पहचान है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गत 15 अगस्त को महिला कैब चालकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसमें पहुंची इंजीनियरिग की छात्रा 19 वर्षीय रूमन गहलोत का आग्रह था का ट्रांसजेंडर को भी प्रशिक्षण मिले, जिस पर उपराज्यपाल ने इसकी अनुमति दी थी। आज हालत यह है कि 163 प्रशिक्षणार्थियों में 63 ट्रांसमैन और ट्रांसगर्ल शामिल हैं। इस योजना में सभी महिला चालकों को ड्राइविग एवं यातायात अनुसंधान संस्थान की ओर से कैब चलाने के लिए निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।
परिवहन विभाग व कैब कंपनियां 50-50 प्रतिशत के आधार पर प्रशिक्षण का खर्च वहन करती हैं। रूमन गहलोत आर्बिन फियाक्रे प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी चलाती हैं, जिसमें 15 महिला ड्राइवर और पांच ट्रांसजेंडर काम करते हैं। इनकी कैब से कारोबारियों और हवाई अड्डे पर आने-जाने वाले लोगों को लाया ले जाया जाता है।