उत्तर प्रदेश के आगरा कुरूगवां कोविड सेंटर से 24 कोरोना संक्रमित मरीज भाग गए। इससे प्रशासन और इलाके में हड़कंप मच गया है। सूचना मिलने पर पुलिस की टीम कोरोना मरीजों की तलाश में जुट गई है। घटना के पुलिस गांव के आसपास तैनात कर दी गई है। इसके अलावा उनके संभावित स्थानों पर छिपे रहने की दबिश भी दी जा रही है। गांव वालों और आसपास वालों को डर है कि इनके भागने से संक्रमण फैलने की संभावना है।
मरीजों का कहना था कि वे आगरा के अस्पतालों में नहीं जाएंगे। उनका यहीं उपचार करो। इस घटना से गांव में दहशत फैल गई है। संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। देर रात तक गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिस गांव में डेरा जमाए रही। गांव कुरुगवां की आबादी करीब पांच हजार है। पंचायत चुनाव के दौरान गांव में बड़ी संख्या में बाहरी लोग आए थे। इसके बाद गांव में खांसी-जुकाम और बुखार फैल गया। 20 अप्रैल से छह मई तक यहां 14 लोगों की मौत हो गई। इसमें दो दिन में सात लोगों की मौत से हाहाकार मच गया था। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव आकर लोगों की जांच कराई। इसमें 17 लोग पॉजिटिव पाए गए। इनके लिए गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कोविड सेंटर बनाकर सभी को आइसोलेट कर दिया गया।
गांव के ही एमएस डॉ. धनपाल सिंह ने अपने भतीजे भानू कुशवाहा और पांच सदस्यीय युवा वॉलिंटियर टीम के साथ इलाज शुरू कर दिया था। वर्तमान और पूर्व विधायक ने दवाओं से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर और पीपीई किट भी मुहैया करा दी थीं। उसके कुछ दिन बाद जब टीम दोबारा से गांव में सैंपलिंग के लिए गई तो उसमें से दस लोग फिर से कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इन लोगों का उपचार माध्यमिक स्कूल को कोविड सेंटर बनाकर किया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम पुलिस के साथ फिर गांव पहुंची। उन्होंने बताया कि 27 संक्रमितों में से चार की रिपोर्ट नेगेटिव थी। जबकि, एक नए व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। यानि 24 मरीज प्राथमिक विद्यालय में चारपाइयों पर थे। टीम ने उन्हें एसएन मेडिकल, जिला अस्पताल, नेमीनाथ हॉस्पिटल में भर्ती कराकर इलाज की सलाह दी थी। टीम के मुताबिक यहां ठीक इलाज नहीं हो पा रहा है। यहीं मरीजों ने चिल्लाना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वे यहां चाहे मर जाएं, जमीन में गाढ़ दीजिए मगर आगरा में अस्पताल नहीं जाएंगे। यहां उन्हें सभी देख तो रहे हैं। आगरा में पता नहीं क्या होगा। कौन देखेगा…? तमाम लोगों के मरने की सूचना मिल रही है।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की पॉजिटिव मरीजों से बात हो रही थी। इतने में गांव की तरफ एंबुलेंस आती देख मरीज भाग खड़े हुए। वे धीरे-धीरे गांव की ओर निकल गए। रात तक उनका कोई सुराग नहीं लगा। हालात ये हो गए हैं कि मानों कोविड पॉजिटिव मरीज भूमिगत हो गए हैं। इसकी सूचना गांव में फैलते ही लोग भी भयभीत हो गए। गांव में घूलेआम घूम रहे कोविड मरीजों से दहशत फैल गई है। मरीज कहां हैं…? खेत-खलियानों और निजी ट्यूवबेलों पर भी दिखाई नहीं दिए। देर शाम तक स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिस गांव में जमी रहीं।
ग्रामीणों के उपचार के लिए प्राथमिक विद्यालय को कोविड सेंटर बनाया गया था। ग्रामीणों ने बताया कि बुधवार को किसी ने प्राथमिक विद्यालय पर ताला डाल दिया। कोरोना पॉजिटिव की चारपाई सुनी पड़ी रहीं। ग्रामीणों का कहना था कि स्वास्थ्य विभाग, पुलिस के पहुंचने के बाद सेंटर पर ताला डाला गया है। इससे गांव में खुलेआम कोविड पॉजिटिव मरीज घूम रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स यदि ग्रामीणों को समझाते तो शायद ये नौबत न आती।