
उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक शराब कारोबारी संजीव गुप्ता को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर जेल भेजने के आरोप में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शगुन गौतम समेत 30 पुलिस कर्मी फंस गए हैं। डीआइजी मुरादाबाद ने जांच पूरी करने के बाद कार्रवाई की संस्तुति करते हुए अपर पुलिस महानिदेशक बरेली को रिपोर्ट भेज दी है।
अप्रैल 2021 में पुलिस ने शराब से भरा टैंकर बरामद कर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। बाद में छह अप्रैल को इसी मामले में कृष्णा विहार कालोनी ज्वालानगर निवासी शराब कारोबारी संजीव गुप्ता को मुठभेड़ में पकड़ना दिखाकर जेल भेज दिया था। उनके साथ तीन लोग और पकड़े गए थे। यह मुठभेड़ मिलक क्षेत्र में दर्शाई गई थी। इसमें एसओजी और मिलक पुलिस शामिल रही।
इस मामले में शराब कारोबारी ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। शिकायत पर शासन ने जांच के आदेश दिए थे। आरोप लगाया था कि उन्हें तत्कालीन एसपी के इशारे पर झूठा फंसाया गया था। उनसे 10 लाख रुपये भी लिए गए थे। उन्होंने चार अप्रैल की रात घर से उठाए जाने की सीसीटीवी की फुटेज भी दीं। तत्कालीन एसओजी प्रभारी द्वारा उन्हें घर से ले जाने पर उनकी बेटी द्वारा एसपी को व्यक्तिगत नंबर पर सूचना दी गई, जिसकी काल डिटेल का स्क्रीन शाट भी उपलब्ध कराया गया। शराब कारोबारी की तबीयत बिगड़ जाने पर ज्वालानगर चौकी के तत्कालीन प्रभारी राजेश कुमार की फोन पर उनकी बेटी से बात हुई थी। इसका भी साक्ष्य उपलब्ध कराया।
इस संबंध में डीआइजी शलभ माथुर का कहना है कि जांच में मुठभेड़ संदिग्ध पाई गई है। एसपी समेत मुठभेड़ में गिरफ्तार करने और अभिलेखों में दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया है।