एनआईए की रिपोर्ट में पुलवामा हमले की साजिश का पर्दाफाश होने के साथ ही रोज नई परत खुल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक फिर जैश-ए-मुहम्मद, अल-कायदा और तालिबान की साठगांठ सामने आ गई है। आतंक के इस खेल का मास्टरमाइंड पाकिस्तान कश्मीर को सुलगाने के लिए तालिबान और अलकायदा का सहारा ले रहा है। आइएसआइ आतंकी संगठनों को अपनी अनाधिकृत फौज की तरह इस्तेमाल कर रही है। इतना ही नहीं वह आतंकियों और उनके ओवरग्राउंड वर्करों का इस्तेमाल भारतीय सेना के प्रतिष्ठानों और सुरक्षाबलों की आवाजाही का पता लगाने के लिए कर रही है।
एनआइए के आरोप पत्र के मुताबिक कश्मीर में सक्रिय कई आतंकी कमांडर अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ले चुके हैं। इस समय भी अफगानिस्तान के कैंपों में जैश के 800 आतंकी मौजूद हैं, जिनमें कई कश्मीरी हैं। पुलवामा हमले के मुख्य आरोपित मोहम्मद उमर फारूक कश्मीर आने से पहले अफगानिस्तान में अल कायदा के कैंप में रहा था। इतना ही कश्मीर में सक्रिय जैश का पाक कमांडर इस्माइल अफगानिस्तान में अलकायदा और तालिबान के ट्रेनिंग कैंपों में दो साल बिता चुका है। एनआइए ने आरोप पत्र में उमर की अलकायदा और तालिबान के कैंप की तस्वीर अदालत को सौंपी है, जिसमें वह अमार अल्वी और अन्य आतंकी के साथ है। उसके मोबाइल फोन के डाटा में तालिबान और अलकायदा के ट्रेनिंग कैंपों का वीडियो भी मिले हैं।
सूत्रों ने बताया कि पुलवामा हमले की साजिश की परतें खोलते समय एनआइए के हाथ कई ऐसे सुबूत लगे हैं, इससे साफ है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए जैश, अल-कायदा और तालिबान मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं, आइएसआइ इनकी हरसंभव मदद कर रही है।