
प्रभु ऐसा प्रेम नहीं चाहते, जो क्षणभंगुर हो। वे एक सरसरी नजर या अल्पकालीन मिलन नहीं चाहते। वे एक शाश्वत दृष्टि, एक शाश्वत मिलन चाहते हैं। अपने प्रियतम के साथ एकमेक होने की शाश्वत अवस्था में रहना चाहते हैं। इस भौतिक संसार के सबसे उत्तम व करीबी रिश्ते भी अंतत: खत्म हो जाते हैं, क्योंकि इस संसार का नियम ही ऐसा है। हमारे भौतिक स्वरूप का अंत होना सुनिश्चित है। जब हम जीवन की अनिश्चितता के बारे में जानते हैं, तो हम एक ऐसा प्रेम चाहते हैं, जो अनश्वर हो।
उसे हम प्रभु रूपी शाश्वत प्रेम के महासागर में तैर कर पा सकते हैं। प्रभु का प्रेम नश्वर नहीं होता। जब हम प्रभु से प्रेम करने लगते हैं, तो हम एक ऐसे प्रियतम से प्रेम करने लगते हैं, जो मृत्यु के द्वार के परे भी हमारे साथ रहता है।