प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। मगर, विपक्ष की 19 पार्टियां उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगी। विपक्ष ने एक संयुक्त बयान जारी कर बहिष्कार करने की जानकारी दी है। विपक्ष का आरोप है कि ‘जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही खींच लिया गया हो तो हमें नई इमारत की कोई कीमत नजर नहीं आती है।’
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर चुके हैं। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि नए संसद भवन को 60,000 श्रमयोगियों ने रिकॉर्ड समय में बनाया है, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी इस मौके पर सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे। राजनीति तो चलती रहती है। हमने सबको आमंत्रित किया है। हमारी इच्छा है कि सभी इस कार्यक्रम में हिस्सा लें।’
अमित शाह ने बताया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजों से सेंगोल यानी राजदंड स्वीकार किया था। यह सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। सेंगोल का अर्थ होता है- संपदा से संपन्न। आजादी के 75 साल बाद भी जनता को इसकी जानकारी नहीं है। इस समय सेंगोल को संग्रहालय में रखा गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सेंगोल के बारे में रिसर्च करवाई। इसके बाद इसे देश के सामने संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल रखने का फैसला किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से आए एक प्रतिनिधि से सेंगोल लेंगे और नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन इसे भवन में रखेंगे। मौजूदा संसद भवन को 96 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। तिकोने आकार के नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी।