विज्ञान के सिद्धांत वेदों से मिले हैं, लेकिन पश्चिमी देश अब तक इन्हें अपनी खोज बताते रहे हैं। दरअसल, संस्कृत भाषा वैज्ञानिक विचारों को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल की जाती थी। कंप्यूटर की भाषा भी संस्कृत है। अलजेबरा, स्कवायर रूट, समय के सिद्धांत, आर्किटेक्चर, मेटालर्जी यहां तक की अंतरिक्ष विज्ञान के सिद्धांत भी वेदों से मिले थे। अरब देशों से होते हुए विज्ञान के ये सिद्धांत पश्चिमी देश तक पहुंचे, जहां उन्होंने इन सिद्धांतों को अलग स्वरूप में पेश कर अपना बता दिया। यह दावा इसरो चीफ एस सोमनाथ ने किया है।
सोमनाथ ने कहा कि उस समय के वैज्ञानिकों द्वारा संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया जाता था और इसके कोई लिखित दस्तावेज नहीं थे। लोग सुनकर इसे सीखते थे, जिसकी वजह से यह भाषा आज तक बची हुई है। संस्कृत भाषा में लिखा भारतीय साहित्य दार्शनिक के तौर पर काफी समृद्ध है। संस्कृत में संस्कृति, धर्म और विज्ञान के अध्ययन में ज्यादा अंतर नहीं है। कंप्यूटर की भाषा भी संस्कृत है और जो कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सीखना चाहते हैं, उनके लिए संस्कृत भाषा काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।