छठ महापर्व चार दिनों को होता है। आज यानी शुक्रवार को तीसरा दिन है। आज शाम को व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा तो कई व्रतों और त्योहारों में मिलती है, लेकिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा छठ में ही है। इस महापर्व में सूर्य को अर्घ्य देने से पहले बांस की टोकरी को श्रद़धानुसार फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामान से सजाया जाता है। तीसरे दिन सूर्यास्त से पहले सूर्य देव की पूजा होती है। इस दौरान डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती है।
इसलिए दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। इससे व्रत रखने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ मिलने की मान्यता है। वहीं ज्योतिषियों का कहना है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा इससे सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक ढलते सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। जो लोग डूबते हुए सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें उगते हुए सूर्य की भी उपासना जरूर करनी चाहिए।