रायपुर, 01 जुलाई | गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिला अपने प्राकृतिक सौंदर्य और लघु वनोपजों के लिए मशहूर है। यहां के जंगलों में मौसमी फल जामुन, सीताफल, कटहल, मुनगा आदि बहुतायत में उपलब्ध होते हैं। जामुन के फल से जिले की महिलाओं को काफी लाभ हो रहा है और वे इसके व्यवसाय से आत्मनिर्भर हो रही हैं तथा आर्थिक रूप से स्वावलंबन की दिशा में बढ़ रही हैं।
![IMG 20240701 WA0037 IMG 20240701 WA0037](https://i0.wp.com/ekhabri.com/wp-content/uploads/2024/07/IMG-20240701-WA0037.jpg?resize=169%2C300&ssl=1)
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष जानकी ओट्टी पेण्ड्रा जनपद पंचायत के एक छोटे से गांव पंडरीखार में रहती हैं। वर्ष 2016-17 में समूह से जुड़कर शैलपुत्री नाम का समूह गठन किया। उन्होंने समूह में अपनी सक्रियता दिखाते हुए आंगनबाडी में रेडी टू ईट का काम शुरू किया, जिससे उन्हें महीने में 10 से 12 हजार रुपये की मासिक आय होने लगी। जिले में बारिश के मौसम में जामुन बहुत अधिक होता है। समूह की महिलाओं ने मिलकर जामुन एकत्र कर जिले से बाहर बिक्रय करने का निर्णय लिया। उन्हें एक कैरेट जामुन में 600 रुपये तक मिल जाता है।
![IMG 20240701 WA0036 IMG 20240701 WA0036](https://i0.wp.com/ekhabri.com/wp-content/uploads/2024/07/IMG-20240701-WA0036.jpg?resize=300%2C169&ssl=1)
वे प्रतिदिन विभिन्न समूहों की महिलाओं से 30 से 40 कैरेट एकत्रित कर बाहर भेजती हैं। इस तरह से जामुन के मौसम में एक ही सीजन में समूह की महिलाएं 40 से 50 हजार रुपये तक कमा लेती हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि बिहान योजना में समूह से जुड़ने से जो सहयोग मिला है, उससे उनका जीवन सुखद हो गया है। समूह की अध्यक्ष जानकी ने कहा कि उनका सपना है कि भविष्य में अपने गांव को जामुन क्लस्टर बनाकर पूरे जिले का जामुन बाहर बिकवा सकें।