
एक देश, एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह निर्णय बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसमें प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की गई। कोविंद समिति ने यह रिपोर्ट इस साल मार्च में लोकसभा चुनावों से पहले पेश की थी। कानून मंत्रालय इस मामले में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के कई लाभ हो सकते हैं, और इसके साथ ही भविष्य में स्थानीय निकाय चुनावों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इस लेकर अब देश में राजनीति गरम चुकी है। कांग्रेस ने इसे मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला फैसला बताया।
कोविंद समिति की रिपोर्ट में पहले फेज में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने की बात कही गई । इसमें सिफारिश की गई है कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ पूरा होने के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएं । समिति की सिफारिश में कहा गया, “पूरे देश में मतदाताओं के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए । सभी के लिए एक जैसा वोटर कार्ड होना चाहिए। ”
केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन बिल को शीतकालीन सत्र में संसद से पास कराएगी, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति की अगुआई वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर देश की 62 राजनीतिक पार्टियां से संपर्क किया था, जिसमें से उन्हें 32 पार्टियों का समर्थन मिला था । इसमें 15 पार्टियों ने वन नेशनल वन इलेक्शन का समर्थन नहीं किया तो वहीं 15 पार्टियों ने कोई जवाब नहीं दिया। 3. समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की। अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है, जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं। समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी, जिन्हें संसद से पारित करने की जरूरत होगी।
पीएम मोदी कई मौकों पर एक देश एक चुनाव का समर्थन कर चुके हैं। पीएम ने कहा था, देश में सिर्फ तीन या चार महीने ही चुनाव होने चाहिए। पूरे साल राजनीति नहीं होनी चाहिए। एक साथ चुनाव कराने से देश का संशाधन बचेगा।” वहीं पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भी कहा था, ‘‘देश को एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए आगे आना होगा।” बीजेपी के कई दिग्गज नेता वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करेगी। हमारी योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव की व्यवस्था लागू करने की है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की ब्रीफिंग करते हुए कहा कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते थे। समाज के सभी वर्गों से राय मांगी गई। अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। समिति ने 191 दिन इस विषय पर काम किया। इस विषय पर समिति को 21 हजार 558 रिएक्शन मिले, इसमें से 80 फीसदी ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों-लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर अब देश में राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है और बीजेपी चुनाव के समय इसके जरिये असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव की व्यवस्था चलने वाली नहीं है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया। उन्होंने कहा देश के सभी चीफ जस्टिस, देश के सभी नेताओं से राजनीतिक दलों से, देश के हर चैंबर ऑफ कॉमर्स से चर्चा की गई, और आज कैबिनेट की मंजूरी दी गई। देश के विकास के लिए वन नेशन वन इलेक्शन जरूरी है। लॉ एंड ऑर्डर के लिए जरूरी है, क्योंकि दो तीन महीने सारे फोर्स वहां लग जाते हैं। देश की प्रगति के लिए जरूरी है। वन नेशन वन इलेक्शन व्यवस्था लागू करने की तैयारी के बीच केंद्र सरकार को प्रमुख घटक जेडीयू की समर्थन मिला था। जेडीयू की ओर से कहा गया कि इससे नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी और बार-बार चुनाव से होने वाली परेशानियों से भी बचा जा सकेगा।