
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें मांग की गई है कि जो लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शासित नहीं होना चाहते, उन्हें देश के धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत जीवन जीने की अनुमति दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए मामला मई के पहले सप्ताह में सूचीबद्ध किया है। यह याचिका देश के धर्मनिरपेक्ष कानून और मुस्लिम पर्सनल लॉ के बीच चयन की स्वतंत्रता से संबंधित है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश अहम माना जा रहा है।