रायपुर, 17 दिसंबर 2025।छत्तीसगढ़ शासन की नक्सल पुनर्वास नीति सुकमा जिले में ज़मीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव ला रही है। इस नीति के तहत आत्मसमर्पित माओवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और सम्मानजनक जीवन उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देशों और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के मार्गदर्शन में सुकमा जिले के नक्सल पुनर्वास केंद्र में आत्मसमर्पित युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर 75 पुनर्वासित माओवादियों को 5G स्मार्टफोन और 25 युवाओं को रोजगारोन्मुख मेसन (राजमिस्त्री) किट प्रदान की गई।
कार्यक्रम का आयोजन कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव और पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के मार्गदर्शन में किया गया। प्रशासन का उद्देश्य पुनर्वास को केवल आर्थिक सहायता तक सीमित न रखते हुए कौशल विकास, डिजिटल साक्षरता और स्वरोजगार से जोड़ना है।
# 75 युवाओं को 5G स्मार्टफोन
पुनर्वास योजना के तहत 75 आत्मसमर्पित युवाओं को सैमसंग गैलेक्सी M06 5G स्मार्टफोन वितरित किए गए। इन स्मार्टफोनों में 50 मेगापिक्सल डुअल कैमरा, 5000 mAh की फास्ट-चार्जिंग बैटरी और आधुनिक डिजिटल फीचर्स उपलब्ध हैं।
इन उपकरणों के माध्यम से युवा अब ऑनलाइन शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, सरकारी योजनाओं और डिजिटल सेवाओं से सीधे जुड़ सकेंगे।
# 25 युवाओं को मेसन किट
इसके साथ ही 25 पुनर्वासित युवाओं को निर्माण कार्य से संबंधित मेसन किट प्रदान की गई। इससे उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण सहित अन्य विकास परियोजनाओं में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मिल सकेंगे। यह पहल जिले में कुशल श्रमिक तैयार करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
# स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता पर जोर
जिला प्रशासन के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी युवाओं को नए अवसर उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। 5G स्मार्टफोन के माध्यम से युवा आधुनिक कृषि तकनीक, छोटे व्यवसाय, ऑनलाइन प्रशिक्षण और स्वरोजगार की संभावनाओं को समझने में सक्षम हो रहे हैं।
# पुनर्वासित युवाओं के अनुभव
पोलमपल्ली निवासी पोड़ियम भीमा ने बताया कि वे करीब 30 वर्षों तक संगठन से जुड़े रहे। पुनर्वास के बाद उन्हें आवास, भोजन और विभिन्न तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधा मिली है। उन्होंने राजमिस्त्री के साथ-साथ इलेक्ट्रीशियन और मैकेनिक का प्रशिक्षण भी पूरा किया है।
पुवर्ती निवासी मुचाकी रनवती ने बताया कि वे 24 वर्षों तक संगठन से जुड़ी रहीं। पुनर्वास के बाद उन्होंने सिलाई प्रशिक्षण लिया और वर्तमान में राजमिस्त्री प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने बस्तर ओलंपिक की संभागस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रथम पुरस्कार भी हासिल किया।
डब्बमरका, सुकमा निवासी गंगा वेट्टी ने बताया कि मोबाइल और मेसन किट मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। प्रशासन की ओर से आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड और जॉब कार्ड बनवाकर उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया गया है।
# पुनर्वास नीति से बदला जीवन
सुकमा में की गई यह पहल दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ शासन की नीति केवल नक्सलवाद से मुकाबले तक सीमित नहीं है, बल्कि भटके हुए युवाओं को विश्वास, अवसर और सम्मान के साथ नया जीवन देने की ठोस कोशिश है। यह मॉडल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और सामाजिक समरसता की दिशा में मजबूत आधार तैयार कर रहा है।










