रायपुर। छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख विपक्षी पार्टी आॅपरेशन लोटस की चपेट में आ गई है। दावा है कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी)- के तीन में से दो विधायक भाजपा से मिलना चाहते थे। इसके लिए 20 सितम्बर की तारीख भी तय हो गई थी। पार्टी को आशंका थी धर्मजीत सिंह पार्टी का ही भाजपा में विलय करा देंगे। पता चला तो पार्टी ने कार्रवाई करते हुए अपने विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह को ही पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी और प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से मुलाकात की। उन्हें धर्मजीत सिंह को पार्टी से निष्कासित करने की सूचना देकर डॉ. रेणु जोगी को विधायक दल के नेता की मान्यता देने का आग्रह किया है। पार्टी ने धर्मजीत सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की भी सिफारिश की है। जेसीसीजे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा, धर्मजीत जी उनके चाचा थे। लेकिन बड़े दुखी मन से उनके खिलाफ यह फैसला लेना पड़ा है। धर्मजीत सिंह को पार्टी संस्थापक अजीत जोगी ने बहुत ही विश्वास के साथ विधायक दल का नेता बनाया था।
एक साल से कार्यकर्ता कर रहे थे शिकायत
पिछले लगभग एक वर्ष से कार्यकर्ताओं द्वारा यह शिकायत लगातार लाई जा रही थी कि लोरमी विधायक ठाकुर धर्मजीत सिंह’, अनुसूचित जाति, जनजाति, गरीब पिछड़ा वर्ग से संबंधित पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं व लोगों की उपेक्षा कर रहे हैं। वहीं एक वर्ग विशेष के लोगों को ही महत्व दे रहे हैं। अमित जोगी ने कहा कि विधायक धर्मजीत सिंह लगातार अन्य दल के संपर्क में रहकर अपने निजी स्वार्थ का ताना बाना बुनने में लगे रहे हैं। इन शिकायतों के संदर्भ में, पूर्व में अनेकों बार विधायक धर्मजीत सिंह के साथ चर्चा भी की गई पर उनके आचरण और विचार में कोई बदलाव नहीं आया। धर्मजीत सिंह जिस पार्टी के चिन्ह पर चुनाव जीते और विधायक बने उसी पार्टी की नीतियों को त्यागने और छत्तीसगढ़वाद की क्षेत्रीय विचारधारा को मिटाने का प्रयास करने के कारण उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है। इधर धर्मजीत सिंह ने कहा, उन्हें पार्टी के इस फैसले की लिखित सूचना नहीं मिली है। लिखित जानकारी मिलने के बाद सोमवार को वे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखेंगे। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के एक पदाधिकारी ने बताया, भाजपा ने यहां भी शिवसेना वाला फॉर्मूला लगाया था। पार्टी के तीन विधायक हैं। विधायक दल के नेता के साथ एक और विधायक के अलग होकर भाजपा में शामिल हो जाने पर दल-बदल विरोधी कानून प्रभावी नहीं होता। उसके बाद ये लोग पार्टी का भाजपा में विलय करा देते। लेकिन समय के ठीक दो दिन पहले नेतृत्व को इसका पता लग गया। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के खिलाफ एकनाथ शिंदे गुट को खड़ा कर भाजपा ने न सिर्फ महाअघाड़ी सरकार गिरा दिया। बल्कि संगठन पर भी दावा ठोक दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद राजनीतिक फैसलों के लिए पार्टी काफी हद तक धर्मजीत सिंह पर निर्भर हो गई थी। उन्हीं की सलाह पर जोगी परिवार मरवाही उपचुनाव में भाजपा के मंच पर आया। भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगा। यहीं से राह बनी और पूर्व विधायक आर.के. राय भाजपा में शामिल हो गए। धर्मजीत सिंह की सलाह पर राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को समर्थन दिया। मई 2022 में जब डॉ. रेणु जोगी गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थीं, उसी दौरान धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा को लेकर एक भाजपा नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे थे। शाह नहीं मिले तो वे लोग तत्कालीन प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी से मुलाकात कर लौट आए।
जेसीसीजे विधायक बोले-पार्टी मुझे भी निकालना चाहे तो निकाल दे:प्रमोद शर्मा ने कहा-मैं धर्मजीत सिंह के साथ
विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह को निकालने के बाद पार्टी ने उनके चार घनघोर समर्थकों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इधर, पार्टी के दूसरे विधायक प्रमोद शर्मा भी खुलकर धर्मजीत सिंह के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल गलत हुआ है। पार्टी मुझे भी निकालना चाहती है तो निकाल दे। बलौदाबाजार से जेसीसीजे विधायक प्रमोद शर्मा ने कहा, मुझे तो न्यूज से पता चला कि हमारे विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है। इस खबर से मैं बहुत दुखी हूं। बिना बैठक के, बिना किसी की सहमति के इस प्रकार का निर्णय लेना बहुत ही गलत है। प्रमोद शर्मा ने कहा, मैं पूरी तरीके से धर्मजीत सिंह के साथ में हूं। अमित जोगी जी जो बाथरूम में बैठकर इस प्रकार का फैसला ले रहे हैं वह नाजायज है। गलत है। मैं इसका विरोध करता हूं। अगर पार्टी मुझको भी निकालना चाहती है तो निकाल सकती है। वह स्वतंत्र है। प्रमोद शर्मा ने दोहराया कि वे धर्मजीत सिंह के साथ हैं और साथ ही रहेंगे। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के कोर ग्रुप ने रविवार देर शाम पार्टी विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह को निष्कासित कर दिया था। पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी को उनकी जगह पर विधायक दल का नेता चुना गया। पार्टी सूत्रों का कहना था, धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा मिलकर पार्टी का भाजपा के साथ विलय की कोशिश में थे। इसको रोकने के लिए पार्टी ने यह कदम उठाया है। फिलहाल घोषित रूप से धर्मजीत सिंह पर एससी, एसटी, ओबीसी समुदाय की अनदेखी और पार्टी के मूल सिद्धांतों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया गया।
लोरमी के इन चार पदाधिकारियों को निकाला गया
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ -जेसीसीजे के प्रदेश महामंत्री प्रशासन महेश देवांगन ने चार पदाधिकारियों को 6 साल तक के लिए निष्कासित करने का आदेश जारी किया है। इसमें लोरमी के ब्लॉक अध्यक्ष राकेश छाबड़ा भी शामिल हैं। छाबड़ा वहां विधायक धर्मजीत सिंह के प्रतिनिधि भी हैं। लोरमी नगर पंचायत की अध्यक्ष अंकिता शुक्ला, उनके पति रवि शुक्ला और पार्षद सीमांत दास को भी पार्टी से निकाल दिया गया है। राकेश छाबड़ा पर 2020 में डीएवी स्कूल में घुसकर पीटी शिक्षक से मारपीट का आरोप है। उस समय साहू समाज उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरा था।
कांग्रेस ने बताया अवसरवादियों का समूह
इस बीच प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस कोई राजनैतिक दल थोड़ी ही है। यह अवसरवादियों का एक समूह है। कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने और भाजपा की मदद करने के लिए इसका गठन हुआ। वह पूरा नहीं हो पाया। अब इनके आपसी हित टकरा रहे तो इनमें विघटन हो रहा है। यह सामान्य प्रक्रिया है। इस समूह में ऐसा एक न एक दिन होना ही था। इस बीच भाजपा ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। विधायक धर्मजीत सिंह दोपहर बाद रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन कार्रवाईयों पर अपनी बात रखने वाले हैं।