रायपुर। आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है चंद्रघटा, मां के माथे में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी का यह स्वरूप साहस और वीरता का अहसास कराता है। ऐसा माना जाता है की ये देवी पार्वती का रौद्र रूप हैं। मां चंद्रघंटा शेर की सवारी करती हैं। इनका शरीर सोने की तरह चमकता है और इनकी 10 भुजाएं हैं।
पूजा विधि
पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार सबसे पहले देवी की स्थापित मूर्ति को गंगाजल, केसर और केवड़ा से स्नान कराएं। इसके उपरांत देवी को सुनहरे रंग के वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद देवी मां को कमल और पीले पुष्प की माला अर्पित करें। फिर उन्हें मिठाई, पंचामृत और मिश्री का भोग लगाएं। फिर अपनी इच्छानुसार दुर्गा चालीसा, स्तुति अथवा सप्तशती का पाठ करें।
आज करें इस मंत्र का जप
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
प्रार्थना मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥