कोरोना मरीजों को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक राहत देने वाला आदेश दिया है। बीमा कंपनियों को आदेश दिया है कि वो कोविड-19 मरीजों के बिलों को एक घंटे में मंजूर करें। बीमा कंपनियां बिल पास करने के लिए 6-7 घंटे नहीं ले सकतीं, क्योंकि इससे अस्पताल से मरीजों को छुट्टी मिलने में देरी होती है। अब स्थिति अधिक गंभीर है। ऐसे में अस्पताल में बेड के लिए जद्दोजहद कर रहे मरीज को लंबा इंतजार करने पड़ता है।
इस आदेश के साथ जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने चेतावनी दी कि अगर कोर्ट को किसी बीमा कंपनी के खिलाफ इस प्रकार की शिकायत मिली तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने बीमा नियामक आईआरडीएआई को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है। साथ ही अस्पताल प्रबंधकों को भी निर्देश दिया गया है कि वो मरीज को डिस्चार्ज किए बिना ही मरीजों की भर्ती प्रक्रिया जारी रखें।
दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। श्मशान घाट में शवों को जलाने के लिए घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं मरीजों के लिए कई जगहों पर एंबुलेंस नहीं मिल रही है। परिस्थिति बहुत ही भयावह होती जा रही है। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए केजरीवाल सरकार को कहा कि वे शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस के स्थान पर पुरानी डीटीसी बसों के इस्तेमाल पर विचार करे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सैन्य बलों की सहायता लेने पर विचार करने को भी कहा है। इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस समय देश कोरोना की सुनामी से गुजर रहा है। ऐसे में लोगों को एकजुट होकर साथ खड़े रहने की जरूरत है।