पेण्ड्रा। नवगठित जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में पीडब्ल्यूडी विभाग की बनाई करोड़ों की सड़कें पहली बरसात भी नहीं झेल पा रही हैं। 5 वर्ष के परफॉर्मेंस गारंटी पर बनाई गई सड़कों की रंगत पहले मानसून में ही उखड़ने लगी है। इन सड़कों को देखकर आम लोग तरह-तरह के सवाल कर रहे हैं। 10 वर्षों से खराब सड़क पर चलने का दंश झेल रहे जनता को सरकार से नई सड़क का तोहफा मिला। पेंड्रा से बसंतपुर मार्ग लागत 18 करोड़, बसन्तपुर से भाड़ी बायपास लागत 12 करोड़ की सड़क का काम जब पीडब्ल्यूडी को सौंपा गया। इससे लोगों को उम्मीद बंधी कि सड़कें मजबूत बनेंगी और वर्षों की समस्या समाप्त हो जाएगी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों और ठेकेदारों की सोच अलग थी। उनके लिए भी सालों के सूखे के बाद राहत की बारिश हुई थी। लिहाजा, ऐसी सड़कें बनाई जो चंद दिनों बाद ही जगह-जगह से दरकने लगी। कई जगह सड़कें उखड़ गईं। जब सड़क निर्माण चल रहा था, तब स्थानीय लोगों ने शिकायत की थी कि ठेकेदार मुरुम की जगह मिट्टी डाल रहा है, वही ठेकेदार की ओर से कंपेक्शन भी मानक स्तर का नहीं दिया गया। लिहाजा सड़क जगह-जगह बैठ रही है। इसके साथ ही टायरिंग के दौरान यदि बिटुमिन (डामर) की मात्रा भी तय मापदंड के अनुरूप डाली गई होती, तब भी सड़क इतनी जल्दी जर्जर नहीं होती।
वर्षों से खराब सड़कों के दर्द को झेल रही जनता अब आगे भी तकलीफ उठाने को बेबश है। ना तो अधिकारियों के पास फुर्सत है कि खराब सड़कों को देख सकें, और ना ही नेताओं के पास इतना समय कि वे खराब सड़कों से जनता को रही परेशानी को समझ सकें। आज हालत यह हो गई है कि सड़कों के उखड़ने से जगह-जगह गिट्टी बाहर आ चुकी है। ट्रकों के चलने के दौरान गिट्टी उछलकर अगल-बगल रहने वाले लोगों के घरों में जाती है।