पंचांगीय गणना के अनुसार 14 जुलाई से श्रावण मास का शुभारंभ हो रहा है। पूरे श्रावण मास में किसी भी दिन तिथि क्षय नहीं है। विशेष यह भी है कि एक माह में चार सर्वार्थसिद्धि तथा दो अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। श्रावण मास में आने वाले व्रत-त्योहार पर विशेष योग नक्षत्रों की साक्षी रहेगी। शिव आराधना के लिए यह सर्वश्रेष्ठ महीना बताया गया है।
शिव महापुराण, लिंग महापुराण में भगवान शिव की उपासना तथा उनके विभिन्ना स्वरूपों का अलग-अलग प्रकार से संकल्पित होकर उपासना करने का महत्व श्रावण मास में बताया गया है। मान्यता है कि श्रावण माह में भगवान शिव को जल, बिल्व पत्र, धतूरा तथा सफेद आंकड़े के पुष्प अर्पित करने से शिव प्रसन्ना होकर उत्तम फल प्रदान करते हैं। अगर श्रावण माह पर्यंत भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जाए तो भगवान की प्रसन्नाता शीघ्र फलदायी मानी जाती है। श्रावण मास में सोलह सोमवार के व्रत का आरंभ तथा उद्यापन दोनों ही किया जा सकता है। श्रावण में शिव महापुराण का पारायण करने से भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
श्रावण मास के विशेष पर्व
-18 जुलाई महाकाल की पहली सवारी
-24 जुलाई कामदा एकादशी
-25 जुलाई सोम प्रदोष के साथ महाकाल की दूसरी सवारी
-28 जुलाई हरियाली अमावस्या
-31 जुलाई संथारा तीज, हरियाली तीज
-2 अगस्त नागपंचमी
-8 अगस्त पवित्रा एकादशी
-11 अगस्त श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन
-12 अगस्त स्नान दान पूर्णिमा व हयग्रिव उत्पत्ति
अमृत व सर्वार्थसिद्धि योग कब-कब
-15 जुलाई : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5:56 से शाम 6 बजे तक
-19 जुलाई : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5.56 से दोपहर 12:15 बजे तक
-21 जुलाई : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5:57 से दोपहर 2 बजे तक
-23 जुलाई : अमृतसिद्धि योग शाम 7 बजे से रात्रि पर्यंत
-25 जुलाई : अमृतसिद्धि योग सुबह 6 बजे से रात्रि पर्यंत
-3 अगस्त : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 6:12 बजे से शाम 6:28 बजे तक