यूक्रेन को लेकर रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुंच गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि अमेरिका समेत ज्यादातर पश्चिमी देश रूस को बर्बाद करना चाहते हैं। संकेत दिया कि रूस को बचाने के लिए वह परमाणु हमले का आदेश भी सकते हैं। पुतिन ने रूस के तीन लाख आरक्षित सैनिकों को युद्ध के लिए यूक्रेन भेजने की घोषणा की है। ये सैनिक यूक्रेन के डोनबास (लुहांस्क और डोनेस्क प्रांत) पर कब्जे के लिए लड़ाई लड़ेंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद रूस ने पहली बार आरक्षित सैनिकों की तैनाती का निर्णय लिया है।
यूक्रेन में इसी महीने रूसी सेना के कब्जे वाली हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन छीने जाने को पुतिन ने गंभीरता से लिया है। हाल ही में उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में पुतिन ने यूक्रेन में गंभीर कार्रवाई के संकेत दिए थे। रूसी भाषा बोलने वालों की अधिकता वाले डोनबास पर पूर्ण कब्जे को लक्ष्य बताया था। अब उसी की प्राप्ति के लिए रूसी राष्ट्रपति ने आरक्षित सैनिकों की तैनाती का ऐलान किया है। राष्ट्र के नाम संबोधन में पुतिन ने कहा, रूस की अखंडता को खतरा पैदा किया गया तो रूसी लोगों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा। हम बड़ी मात्रा में हथियारों के उपयोग से ऐसी कोशिश का जवाब देंगे। इस बात को हल्के में कतई न लिया जाए। बड़ी मात्रा में हथियारों के उपयोग से पुतिन का आशय परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से माना जा रहा है। यूक्रेन युद्ध के प्रारंभ से ही पुतिन ने रूस के परमाणु हथियारों को हाई अलर्ट पर कर रखा है।
राष्ट्रपति पुतिन की यह प्रतिक्रिया पश्चिमी देशों से लगातार आए उन बयानों के बाद आई है जिनमें कहा गया था कि यूक्रेन में रूस का अभियान विफल रहा है। साथ ही अमेरिका सहित प्रमुख पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की वोलोदिमीर जेलेंस्की सरकार की सहायता बढ़ाने का एलान किया है। पुतिन के संबोधन के बाद रूसी रक्षा मंत्री ने कहा, तीन लाख आरक्षित सैनिकों को सक्रिय कर दिया गया है। आवश्यकता के अनुसार यूक्रेन में उनकी तैनाती की जाएगी। पुतिन ने कहा है कि रूस के पास 20 लाख आरक्षित सैनिक हैं। पश्चिमी देश अगर यूक्रेन में शांति नहीं चाहते हैं तो रूस अपनी अखंडता की रक्षा के लिए उनकी तैनाती और बढ़ा सकता है। पुतिन ने यह एलान संयुक्त राष्ट्र में हुई वैश्विक नेताओं की बैठक के बाद किया। इस बैठक में यूक्रेन में रूस के हमले की निदा की गई थी।
ये होते हैं आरक्षित सैनिक
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद रूस ने कई मौकों पर युद्ध और सैन्य कार्रवाइयां की हैं लेकिन आरक्षित सैनिकों को सक्रिय कर उनकी तैनाती का निर्णय पहली बार लिया गया है। आरक्षित सैनिक वे होते हैं जो सीमित प्रशिक्षण के बाद गैर सैन्य रोजगारों से जुड़े होते हैं, उन्हें आपातस्थिति में शार्ट नोटिस पर सरकार बुला सकती है। ऐसे सैनिकों में आयु विशेष तक के अवकाश प्राप्त सैनिक भी हो सकते हैं।