
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शिक्षक पदोन्नति संशोधन घोटाले की जांच एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जिन अधिकारी- कर्मचारियों पर इस पूरे घोटाले का आरोप है। वही अधिकारी के साथ इस भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के बड़े और बहुचर्चित घोटाले में जांच के नाम पर हो रहे इस लीपापोती और फर्जीवाड़े से फिर सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जांच की पारदर्शिता कटघरे में आ गई है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में शिक्षक पदोन्नति संशोधन के नाम पर बड़ा घोटाला उजागर हुआ था। बिलासपुर शिक्षा संभाग में हुए इस घोटाले में पदोन्नति के बाद 799 शिक्षकों का पदस्थापना आदेश फिर संशोधन को लेकर जेडी कार्यालय में रातों-रात कलम चलाई गई थी। संशोधन के खेल में करोड़ों का वारा-न्यारा किया गया था। तत्कालीन प्रभारी संयुक्त संचालक शिक्षा एके प्रसाद व सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी का नाम इस घोटाले में सबसे उपर था। बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंचा। आखिर में राज्य शासन ने बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले को लेकर जेडी स्तर पर किए गए पदोन्नति के बाद पदस्थापना आदेश को रद कर दिया। तब इसमें बड़ा बवाल भी मचा। पदोन्नित के बाद पदस्थापना में किए गए बड़े खेल को लेकर जांच शुरू की गई। बिलासपुर शिक्षा संभाग के मामले की जांच के लिए राज्य शासन ने जेडी जेपी रथ को जांच अधिकारी नियुक्त किया।
जांच आगे बढ़ाने के लिए बीते दिनों जांच अधिकारी ने सभी 799 शिक्षकों को गवाही के लिए नोटिस जारी किया था। इसी कड़ी में करीब 435 शिक्षक बयान दर्ज कराने जेडी ऑफिस पहुंचे, जहां 15 बिंदुओं में जारी प्रपत्र पर शिक्षकों ने अपनी गवाही दर्ज कराई। इस दौरान जांच के नाम पर हो रही पूरी कार्रवाई फिर कटघरे में दिखी। भर्ती घोटाले की जांच के लिए राजधानी से पहुंचे अफसर ज्वाइन डायरेक्टर जेपी रथ के साथ दोनों दागी अधिकारी तत्कालीन प्रभारी संयुक्त संचालक शिक्षा एके प्रसाद और सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी ना केवल मौजूद रहे, बल्कि एक टेबल में साथ में बैठे रहे। शिक्षकों को गवाही के लिए दिए गए प्रपत्र की भी जांच करते नजर आए। कहा जा रहा है कि इस दौरान दोनों दोषी अफसर शिक्षकों पर उनके पक्ष में बयान देने दबाव भी बनाते रहे। दूसरे तरफ जांच अधिकारी मूक दर्शक बने रहे। जिसके बाद एक बार फिर घोटाले के जांच में भी फर्जीवाड़ा और लीपापोती की आशंका के साथ जांच की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहा है।
इस पूरे प्रकरण में जहां जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं जांच के दौरान दोनों दोषी अफसरों को अपने साथ रखने की जांच अधिकारी जेडी जेपी रथ की दलील और चौंकाने वाली है। जांच अधिकारी इसे जांच के नियमों का हिस्सा बता रहे हैं। उनका कहना है, जांच के दौरान दोषी अफसरों को साथ रखना और उन्हें जांच का हिस्सा बनाना जांच के नियमों में शामिल है। वे उन्हीं नियमों का पालन कर रहे हैं। बहरहाल, जांच की प्रक्रिया और जांच अधिकारी के दलील के बीच सवाल यही उठ रहा है, कि आखिर ये कैसी जांच प्रक्रिया है, जिसमें जिनपर करोड़ों के लेन देन का आरोप है, वही अपने खिलाफ मिले शिकायतों और बयानों की जांच कर रहे हैं। इस स्थिति के बीच जांच अधिकारी के साथ पूरी जांच प्रक्रिया एकबार फिर कटघरे में है।