
अमेरिका ने इजराइल को मान्यता देने के बदले सऊदी को नाटो लेवल की सिक्योरिटी देने की पेशकश की थी। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) जेक सुलिवन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच सिक्योरिटी अकॉर्ड और सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट पर चर्चा हुई। समझौते के तहत अमेरिका, सऊदी अरब को सुरक्षा और परमाणु सहायता देगा। दरअसल, पिछले साल इजराइल और सऊदी अरब के बीच डिप्लोमैटिक रिश्ते शुरू करवाने के लिए अमेरिका बैकडोर बातचीत कर रहा था।
अमेरिका ने इजराइल को मान्यता देने के बदले सऊदी को नाटो लेवल की सिक्योरिटी देने की पेशकश की थी। इस साल मई की शुरुआत में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका और सऊदी अरब सिक्योरिटी और परमाणु सहायता वाले एग्रीमेंट साइन करने के बेहद करीब हैं। US एटॉमिक एनर्जी एक्ट 1954 के तहत अमेरिका कुछ शर्तों पर दूसरे देशों को परमाणु सहायता दे सकता है। इसके लिए इन देशों को 9 शर्तों को पूरा करना होगा। इनमें परमाणु हथियार बनाने के लिए न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल न करने और दूसरे देशों को खुफिया जानकारी साझा नहीं करने की बात कही गई है।
सऊदी दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है। हालांकि सऊदी क्राउन प्रिंस देश की अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने ‘विजन 2030’ प्लान भी बनाया है। इस प्लान के लिए सऊदी रिन्यूएबल एनर्जी जनरेट करते हुए उत्सर्जन को कम करना चाहता है। न्यूक्लियर एनर्जी इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम साबित होगी। इसके अलावा सऊदी कई बार ये कह चुका है कि अगर ईरान ने परमाणु बम बनाए तो वह खुद भी ऐसा करने से पीछे नहीं हटेगा। अमेरिका की मदद से सऊदी परमाणु तकनीक में महारत हासिल करना चाहता है। इसके जरिए वह अमेरिका के विरोध के बावजूद जरूरत पड़ने पर परमाणु हथियार बनाने में सक्षम होगा।