
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि सामान्य तौर पर गठिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के गंभीर मरीजों की मौत के खतरे को कम कर देती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस दवा का नाम बारिसिटिनिब है, जो डेक्सामेथासोन व टोसिलिजुमैब की तरह ही सूजन को कम करती है। पूर्व में पाया जा चुका है कि डेक्सामेथासोन व टोसिलिजुमैब के इस्तेमाल से अस्पताल में भर्ती कोरोना के गंभीर मरीजों का खतरा कम हुआ है। आक्सफोर्ड पापुलेशन हेल्थ के प्रोफेसर और परीक्षण के ज्वाइंट चीफ सर मार्टिन लैंड्रे के अनुसार, ‘यह अच्छी तरह स्थापित हो चुका है कि अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचने की एक वजह उनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की जरूरत से ज्यादा सक्रियता भी है। परीक्षण में पाया गया कि बारिसिटिनिब की मदद से इलाज करने पर न सिर्फ कोविड के गंभीर मरीजों के बचने की संभावना अधिक हुई, बल्कि इसने प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की अति सक्रियता को कम करने के लिए इस्तेमाल की गई डेक्सामेथासोन व टोसिलिज़ुमैब से अलग लाभ प्रदान किया।” हालांकि, गहन समीक्षा अभी बाकी है, लेकिन प्रीप्रिंट रिपाजिटरी मेडरेक्सिव पर साझा किया गया यह अध्ययन मौत के खतरे को टालने के लिए सूजन को कम करने वाली दवाओं के संयोजन का इस्तेमाल करने की संभावनाओं को आधार प्रदान करता है।