पक्षियों को दाना-पानी देने के लिए शहर में बांटे गए मिट्टी के सकोरे
दुर्ग। इन दिनों दुर्ग जिले में जमकर गर्मी पड़ रही है। 42 से 45 डिग्री पर तापमान है। ऐसे में पशु-पक्षियों की पानी की कमी से मौत न हो, उसके लिए शहर के युवाओं ने पहल की है। गर्मी के समय में पशु-पक्षियों के सरंक्षण के लिए पशु-पक्षी बचाओ अभियान के साथ दुर्ग जिले की प्रमुख समाज सेवी संस्था जो कि विगत 5 वर्ष 4 माह से प्रतिदिन बिना रुके मानव सेवा एवं गौ सेवा का कार्य कर रही जन समर्पण सेवा संस्था। दुर्ग के युवाओ ने अपनी पूरी टीम के साथ 24 अप्रैल से शहर के प्रमुख स्थानों में गौ माता एवं अन्य पशुओं के लिए सीमेंट से बने कोटना रखने एवं शहर के प्रमुख स्थानों में स्टाल लगाकर मिटटी के सकोरे वितरण करने का निर्णय लिया है। जन समर्पण सेवा संस्था के अध्यक्ष योगेन्द्र शर्मा ने बताया कि भीषण गर्मी में मानव के साथ साथ पशु-पक्षियों को भी पानी की बेहद जरूरत होती है। हमारे साथियों ने मिलकर इस पर विचार किया और शहर में एक अभियान चलाने का निर्णय लिया जिसमें शहर के प्रमुख प्रमुख स्थानों में जाकर गाय एवं जानवर जो कि रोड में घूमते रहते हैं उनके लिए सीमेंट से बने कोटना रखना है और पक्षियों के लिए शहर के मुख्य चौक-चौराहे में स्टॉल लगाकर आम जनता को अपने घर के छत में पक्षियों को दाना-पानी रखने के लिए मिट्टी से बने सकोरे का वितरण किया जाएगा। जन समर्पण सेवा संस्था द्वारा आज 24 अप्रैल को प्रात: 11 बजे से पुराना बस स्टैंड के पास स्टाल लगाकर लगभग 2 हजार आम नागरिकों को अपने घरों की छत पर पशु-पक्षियों के दाना-पानी रखने के लिए मिट्टी से बने सकोरे का नि:शुल्क वितरण किया गया। साथ ही साथ शहर के प्रमुख स्थानों में जा जा कर गौ माता एवं अन्य पशु, जानवारों के लिए सीमेंट से बना कोटना रखा गया। दोपहर में जहां लोग गर्मी से बचने के लिए कूलर-एसी के पास पहुंच जाते हैं। वहीं युवाओं की यह टोली अब हाथ में सकोरे एवं कोटना लेकर सड़कों पर निकलकर वितरण करेंगे। संस्था के शिशु शुक्ला ने बताया कि पशु-पक्षियों को पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे समय में पशु-पक्षियों के सरंक्षण के लिए पशु-पक्षी बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत 24 अप्रैल पुराना बस स्टेंड से की गई है। इसके बाद संस्था द्वारा प्रत्येक घर तक इस अभियान को पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। अभियान में जुड़े युवाओं का कहना है कि बीते वर्ष पशु पक्षियों को सरंक्षण देने का अच्छा परिणाम देखकर उन्हें काफी सुकून मिला है। पशु-पक्षी बचाओ अभियान के बारे में जिससे भी जुडऩे को कहा जा रहा, वह इनकार नहीं कर रहा है। युवाओं की इस पहल के बाद घरों में चिडिय़ों की चहल पहल बढ़ गई है। पक्के घर बन जाने के बाद आंगन व हरियाली की कमी से चिडिय़ों का शोर गुल कम हो गया है।