
कर्मचारियों के लिए प्रोन्न्ति में आरक्षण की नीति लागू करने से पहले केंद्र सरकार ने सभी विभागों से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर आंकड़े जुटाने के लिए कहा है। साथ ही विभागों से कहा गया है कि वे प्रोन्न्ति के लिए विचार किए जा रहे अधिकारियों की पात्रता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करें।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी आदेश में जनवरी में जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया है जिसमें पदोन्न्ति में आरक्षण की नीति लागू करने के वास्ते कुछ शर्तों का उल्लेख किया गया था, जिसे सरकार को पूरा करना होगा। इन शर्तों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में आंकड़े जुटाना भी शामिल है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के आदेश में कहा गया, ‘सभी मंत्रालयों/विभागों को निर्देश दिया जाता है कि आरक्षण की नीति को लागू करने और उसके आधार पर कोई प्रोन्न्ति करने से पहले उक्त शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।”
मंगलवार को जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि प्रशासन की कुशलता बरकरार रखने के लिए विभागीय प्रोन्न्ति समिति (डीपीसी) प्रोन्न्ति के लिए विचार किए जा रहे अधिकारियों की पात्रता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करेगी। केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) फोरम ने जनवरी में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से तत्काल अपने सदस्यों के लिए लंबे समय से रुकी पड़ी प्रोन्न्तियों को बहाल करने का अनुरोध किया था। सीसीएस फोरम केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों की एसोसिएशन है जिसके सदस्य केंद्रीय सचिवालय के कामकाज की रीढ़ हैं।