सनातन संस्कृति से आदिवासियों का गहरा जुड़ाव है। उनके पर्व-त्योहार और उत्सव भी सनातन परंपरा से मेल खाते हैं। झारखंड के बोकारो में फागुन आते ही संताल आदिवासी समाज बाहा पर्व की तैयारियों में जुट गया है। इसमें फूलों को अपने इष्टदेव को चढ़ाने के बाद आदिवासी फूलों व पानी से होली खेलते हैं। जाहेर थान में जमा होकर सभी लोग इस दौरान पूजा के बाद नाचते-गाते हुए त्योहार मनाते हैं। गांव के पुजारी लोगों के बीच इस दौरान साल के फूल प्रसाद स्वरूप बांटते हैं। बाहा पर्व पर आदिवासी रंगों के बजाय पानी से होली खेलते हैं। बाजार में बिकने वाले रंग-गुलाल के प्रयोग की मनाही रहती है।
सनातन और आदिवासियों के त्योहार के साथ पूजा पद्धति में भी समानता है। उत्सवों के नाम भले ही अलग-अलग हों, लेकिन मनाने का तरीका व परंपराएं एक जैसी हैं।