जैसे कि उबलते पानी में अपनी परछाई आप नहीं देख सकते। उसी प्रकार विचलित मन में आप किसी भी समस्या का समाधान भी नहीं खोज सकते। अगर परेशानी आई है तो वह जाएगी आप उस का डटकर मुकाबला करिए।
अपने मन को शांत करें और फिर सोचिए कि इसका हल कहां से निकाला जा सकता है। दोस्तों जरा सोचिए पानी की तासीर बदलने से, उसका व्यवहार और उसका परिणाम भी बदल जाता है वहीं पानी अगर स्थिर और ठंडी अवस्था में होता है तो हम उसमें अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं लेकिन अगर वही पानी उबाल रहा है उसमें बुलबुल उठ रहे हैं तो चाह कर भी आप उसमे अपनी छाया नही देख पाएंगे।