मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी जिलों में संगठनत्मक नियुक्त कर दी है। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति होने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए नेता जोर आजमाइश कर रहे हैं। एमपी के जो नेता स्वयं को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में मान रहे हैं वो लगातार दिल्ली तक दौड़ लगा कर खुद के लिए फील्डिंग जमाने में लगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के पद का चयन जितना खिंचता चला जा रहा है उतना ही यह चुनाव दिलचस्प भी होता जा रहा है। भाजपा में करीब दो दर्जन सांसद और विधायक खुद को अध्यक्ष पद का दावेदार मान रहे हैं।
वहीं कुछ बड़े नेता चुनाव हार गए तो वो अपना राजनीतिक पुनर्वास के लिए प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं। फिलहाल भाजपा के कई नेता दिल्ली में चुनाव प्रचार करने के बहाने अपनी फील्डिंग जमा रहे हैं। दिन में पार्टी के लिए प्रचार करते हैं और फिर समय मिलने पर वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर अपने लिए माहौल बनाने का प्रयास करते हैं। कुछ ऐसे नेता भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदार बन रहे हैं जो न सासंद हैं न विधायक हैं और न ही चुनाव हारे हैं लेकिन वो खुद को संगठन का जानकार और अनुभवी नेता मानते हैं इसलिए वो भी अध्यक्ष पद की दौड़ में खुद को शामिल कर रहे हैं।
आम कार्यकर्ता तो यही चाहता है कि अध्यक्ष की घोषणा जल्दी हो जाए लेकिन जो खुद को दावेदार मानते हैं वो चाहते हैं कि थोड़ा वक्त और मिल जाए। कहते हैं इंतजार का मजा भी कुछ अलग ही होता है। और उसी इंतजार का मजा फिलहाल भाजपा के वरिष्ठ नेता ले रहे हैं। दूसरी तरफ एक और मजेदार पहलू देखने को मिल रहा है कि जो लोग अक्सर सत्ता में रहने वालों के इर्द-गिर्द घूमते हैं उनके लिए यह पल बहुत कठिन हो रहा है क्योंकि उनको समझ ही नहीं आ रहा कि वो अभी किसके दरवाजे पर हाजिरी लगाने जाएं। क्योंकि सरकार के बाद संगठन ही है जहां पर लोग हाजिरी लगाने जाते हैं। और ऐसी स्थिति में अक्सर चमचागीरी कर खुद को लामलाइट में बनाए रखने वाले काफी परेशान हैं कि वो कहां जाएं और कहां न जाएं।