अनलॉक-1 के बाद देश में कोरोना की रफ्तार तेज हो गई है। हर रोज रिकॉर्ड नंबर में नए केस सामने आ रहे हैं। इस बीच, हेल्थ पर बने 15वीं वित्त आयोग के उच्च स्तरीय पैनल ने कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों में कोविड-19 का अलग-अलग समय पर पीक पर हो सकता है। इसके लिए पैनल ने केंद्र और राज्य की सरकारों को सावधान रहने के लिए कहा है।बता दें कि देश में कोरोना के मामले ढाई लाख के पार पहुंच चुके हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली में कोविड के मरीजों की बढ़ती तादाद टेंशन दे रही है।
आयोग ने सरकार को सलाह दी है कि सभी राज्यों के बीच संसाधनों का बेहतर तालमेल हो ताकि हर राज्य में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। इस उच्च स्तरीय पैनल के संयोजक और एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि ऐसी मैकेनिजम की जरूरत है कि जरूरत पड़ने पर मानव संसाधन और उपकरणों को एक राज्य से दूसरे राज्य में जरूरत के अनुसार पहुंचाया जा सके।
ICMR ने पाया कि कोरोना के खिलाफ ट्रैक, ट्रेस और ट्रीट की मौजूदा रणनीति ठीक काम कर रही है। पिछले महीने हुई पैनल की बैठक ने 3 सुझाव दिए हैं। वेरी शॉर्ट, शॉर्ट और मीडियम टर्म के कदम।
वेरी शॉर्ट टर्म कदम के तहत इस बीमारी से निपटने के लिए रैपिड टेस्टिंग, सर्विलांस, कंटेनमेंट, किफायती दवाओं की उपलब्धता, रूरल मोबाइल हेल्थ यूनिट्स और वेंटीलेटर, पीपीई किट्स, मास्क, ऑक्सीजन सप्लाई की उपलब्धता बनाए रखने के सुझाव दिए गए हैं ताकि कोविड-19 के मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सके।
गुलेरिया ने कहा कि कुछ राज्य कोरोना केसों की बढ़ती संख्या से निपटने में सक्षम हो सकते हैं जबकि कुछ राज्यों के लिए यह चुनौती होगी। कोरोना के फैलने का विश्लेषण के आधार पर पैनल का मानना है कि यह महामारी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से फैल रही है। जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल और दिल्ली में लगातार बड़ी संख्या में नए केस सामने आ रहे हैं।
हालांकि कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और केरल में कोरोना के केसों में थोड़ी कमी आई है लेकिन वहां अभी नए मरीजों का मिलना जारी है। 14 से 18 मई तक किए गए स्टडी के अनुसार रोजाना का ग्रोथ रेट करीब 5.1 फीसदी है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड-19 के फैलने की रफ्तार में कमी नहीं आई है और इसका प्रभाव अगले दो-तीन सालों तक के लिए बंट गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस जानलेवा बीमारी से मौतों के रेट को 5% से कम रखना जरूरी होगा। अगर रोजाना मौतों की संख्या 1,000-2,000 पहुंच जाएगी तो सरकार के लिए यह खतरनाक संकेत होगा।
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