अंबिकापुर। सूरजपुर के दरहोरा जंगल में बिजली व वन अफसरों की लापरवाही से गर्भवती हथिनी की मौत के मामले में अब तक जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ केस दर्ज नहीं कराया गया है, जबकि इसमें बिजली विभाग के अफसरों की लापरवाही स्पष्ट हो चुकी है। बिजली विभाग के ईई मांगेशकर ने बताया कि जहां पर हथिनी की करंट से मौत हुई, वहां बिजली के तार की ऊंचाई बढ़ाई जा रही है। इसमें करीब डेढ़ लाख खर्च हो रहे हैं। उन्होंने कहा यहां ऊंचाई बढ़ाई थी, लेकिन आंधी के समय तार नीचे आ गए थे, जिससे हादसा हुआ। उन्होंने दावा किया कि जिले में ऐसे 50 जगह डेंजर जोन थे, जहां हाथी और दूसरे जानवर हाईटेंशन लाइन के संपर्क में आ सकते थे। वहां 50 लाख से अधिक खर्च कर हाइट बढ़ाई थी, लेकिन यहां हादसा हो गया। अब फिर ऐसे डेंजर जोन वाले स्थान पर तरंगित तार को ऊंचाई पर शिफ्ट करेंगे। इसके लिए सर्वे कराएंगे। समाजसेवी संजय ठाकुर ने कहा वन व बिजली विभाग के अफसरों की लापरवाही से हाथी की मौत हुई है। मामले में दोषी अफसरों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए, क्योंकि उस क्षेत्र में हाथियों का हमेशा आना-जाना रहता है, फिर भी बिजली लाइन को ऊपर नहीं किया गया। अगर किसी किसान के खेत में बिजली तार में फंसकर हाथी मरा होता तो किसान को तो कब का जेल भेज दिए होते। इस मामले में दोहरा मापदंड क्यों।
हर तरफ से अफसरों की लापरवाही आ रही सामने
खुलासा हुआ कि ऐसे डेंजर जोन की जानकारी विभाग के लाइन मैन को पूरी तरह होती है और उनसे रिपोर्ट लेकर इस पर समय रहते काम किया गया होता तो यह घटना ही नहीं हुई होती, लेकिन गर्भवती हथिनी की जान जाने के बाद मामले में दोषी अफसरों को बचाने लीपापोती की जा रही है। अफसर कह रहें हैं कि उन्होंने अवैध हुकिंग, खेतों में बिछाए अवैध तार को हटाने व लूज तार को ठीक करने 12 जनवरी को पत्र लिखा था, लेकिन उन्हें घटना स्थल में बिजली तार के नीचे होने की जानकारी नहीं थी।