मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना संक्रमण से बचाव का टीका अनिवार्य नहीं है। अगर आपकी इच्छा है तो लगवाएं और नहीं है तो ना लगवाएं। यानी जो लोग चाहेंगे-उसे ही टीका लगाया जाएगा। साथ ही यह भी दावा किया गया कि भारत में विकसित होने वाली वैक्सीन अन्य देशों में विकसित वैक्सीन की तरह ही प्रभावी होगी। इसमें किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सलाह दी है कि देश में संक्रमण की स्थिति के मद्देनजर कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन लगवानी चाहिए। इससे बीमारी से लड़ने के लिए शरीर में मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है। परीक्षणों में पाया गया है कि वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के दो सप्ताह बाद शरीर में कोरोना वायरस को निष्प्रभावी करने वाली एंटीबॉडी पैदा हो जाती है।
मंत्रालय ने कहा है कि देश में वैक्सीन के परीक्षण की प्रक्रिया कई चरणों में है और जल्द ही ये देश में लांच हो जाएगी। कुल छह वैक्सीन अपनी परीक्षण प्रक्रिया पूरी कर रही है। इनमें भारत बायोटेक और आइसीएमआर, जायडस कैडिला, जेनोवा, ऑक्सफोर्ड, स्पुतनिक वी और बायोलॉजिकल ई लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन है। इसके मद्देनजर देश में जल्द टीकाकरण अभियान शुरू हो जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड से बचाव की वैक्सीन को तभी स्वीकृति दी जाएगी जब यह पूरी तरह से सुरक्षित साबित हो जाएगी। इसके कुछ सामान्य से दुष्प्रभाव भी हैं। जैसे- वैक्सीन देने के बाद हल्का बुखार, इंजेक्शन लगाए जाने के स्थान पर दर्द आदि हो सकता है। मगर यह गंभीर बात नहीं है। यह कुछ घंटों बाद ठीक हो जाता है। वैक्सीन की दो खुराक 28 दिनों के अंतर पर ली जाती है और उसके दो सप्ताह बाद यह अपना असर दिखाते हुए शरीर में एंटीबॉडी पैदा कर देती है। इससे पैदा होने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते वैक्सीन लेने वाला व्यक्ति कोरोना वायरस के हमले से खुद को सुरक्षित रख पाता है।