
रायपुर। जेसीआई रायपुर कैपिटल द्वारा मंगलवार शाम वृंदावन हॉल, सिविल लाइन्स में आयोजित होलिस्टिक हेल्थ सेमिनार ने शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन की दिशा में शहरवासियों को नई सोच दी। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता रहे डॉ. अखिलेश साहू, जो फिजियोथेरेपी, योग, माइंड मेडिसिन और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में वर्ल्ड रिकॉर्डधारी विशेषज्ञ हैं। वे 6 मास्टर्स व डबल पीएचडी धारक हैं और बेस्ट सेलिंग बुक “The Seating Pandemic” के लेखक भी हैं।
डॉ. साहू ने बताया: बीमारी शरीर में नहीं, जीवनशैली में होती है
डॉ. साहू ने कहा, “होलिस्टिक हेल्थ का अर्थ केवल शरीर नहीं, बल्कि विचार, भावना, समाज और आत्मा के बीच संतुलन है। जब तक लक्षणों का इलाज करते रहेंगे, संपूर्ण स्वास्थ्य संभव नहीं है।”
उन्होंने जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों – उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद, अनिद्रा, मोटापा – का समाधान समग्र सोच और वैज्ञानिक तकनीकों से समझाया।
सेमिनार में बताई 5 प्रमुख प्राकृतिक चिकित्सा विधियां:
- अर्थ एज मेडिसिन: नंगे पांव धरती से संपर्क से कोशिकाएं चार्ज होती हैं।
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टाइम एज मेडिसिन: सूर्य के अनुसार भोजन पाचन को बढ़ावा देता है।
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वॉटर एज मेडिसिन: पानी का सही समय और तरीका ही औषधि है।
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पोस्चर एज मेडिसिन: सही मुद्रा से कई शारीरिक समस्याओं से राहत।
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वाइब्रेशन एज मेडिसिन: साउंड थेरेपी और ध्यान से मानसिक शांति और ऊर्जा बढ़ती है।
व्यावहारिक सेशन में ध्यान और श्वसन का अभ्यास
सेमिनार के व्यावहारिक सत्र में डॉ. साहू ने प्रतिभागियों को चक्र विश्लेषण, 25 हीलिंग ब्रीथ, साउंड थेरेपी और गाइडेड मेडिटेशन का अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन केवल 20 मिनट का ध्यान रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्थिरता को मजबूत करता है।
‘तुम वही हो जो तुम खाते हो’ सिद्धांत पर जोर
डॉ. साहू ने संतुलित आहार, मौसमी फल, अंकुरित अनाज और हर्बल पेय को जीवनशैली में शामिल करने की सलाह दी। उन्होंने प्रोसेस्ड फूड, चीनी और तली-भुनी चीजों से दूरी बनाने का आह्वान किया।
सकारात्मक सोच ही असली चिकित्सा
उन्होंने कहा, “सोच की बीमारी सबसे खतरनाक है। क्षमा, कृतज्ञता और सकारात्मकता से मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है।”
प्रतिभागियों की प्रतिक्रियाएं: जीवन बदलने वाला अनुभव
सेमिनार में शामिल डॉ. रवि जायसवाल ने इसे स्वास्थ्य जागरूकता की क्रांति बताया। गृहिणी पायल मुकीम ने कहा, “ध्यान और श्वसन का महत्व पहली बार समझ आया।” वहीं रितेश साहू ने इसे जीवन की दिशा बदलने वाला बताया।
समापन समारोह में सम्मान और भविष्य की प्रतिबद्धता
कार्यक्रम के अंत में डॉ. अखिलेश साहू को सम्मान चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। सभी प्रतिभागियों को भागीदारी प्रमाणपत्र दिए गए। अध्यक्ष सिद्धार्थ मुकीम ने भविष्य में भी ऐसे आयोजन जारी रखने की घोषणा की।
निष्कर्ष:
यह सेमिनार केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य की ओर पहला कदम था। यह संदेश देता है कि स्वस्थ जीवन के लिए दवाइयों से अधिक जरूरी है सही सोच, सही दिनचर्या और समग्र दृष्टिकोण।