रायपुर। फ़ार्मासिस्ट बनकर दवाओं की बिक्री करने के पेशे को स्वरोजगार का बेहतर विकल्प माना जा सकता है। इस पेशे में उतरने के लिए जरूरी योग्यता और अन्य संभावनाओं की जानकारी इस पोस्ट में दी जा रही है। इसके अनुसार आप स्वरोजगार की अपनी राह को चुन सकते हैं।
क्या है पहला कदम
पेशेवर फार्मासिस्ट बनने के लिए फार्मेसी में न्यूनतम डिप्लोमा स्तरीय योग्यता का होना पहली शर्त है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) से मान्यता प्राप्त देश के किसी संस्थान से यह डिप्लोमा हासिल किया जा सकता है। इसे प्राप्त करने के बाद फार्मेसी एक्ट 1940 के तहत खुद को राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत करना होता है। अध्ययन की इच्छा होने या इस विषय क्षेत्र में अपनी समझ बढ़ाने के लिए बाद में बीफार्म (बैचलर ऑफ फार्मेसी) और एमफार्म (मास्टर ऑफ फार्मेसी) की पढ़ाई भी की जा सकती है। पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर कई स्पेशलाइज्ड विषयों में डिप्लोमा करने के भी विकल्प उपलब्ध हैं।
Pharmacy में मुख्यतः दो प्रकार के कोर्स होते है B Pharma और D Pharma। आइये आपको पहले B Pharma के बारे में पहले विस्तार से बताते है।
Bachelor of Pharmacy
Bachelor of Pharmacy जिसको संक्षिप्त में B.Pharma भी कहते है | B.Pharma चार साल का undergraduate course है | ये कोर्स पूरा करने के बाद आपको ‘Bachelor of Pharmacy’ की डिग्री प्राप्त होगी | इस डिग्री के मिलने के बाद आप भारत में Pharmacist की practice भी कर सकते है या फिर विदेश भी जा सकते है | Science stream के छात्र चाहे वो Mathematics से हो या फिर Biology से 12 वी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद B.Pharma के लिए Eligible होते है | वैसे सामन्यत: Biology वाले छात्र Pharmacy लाइन में जाना ज्यादा पसंद करते है ।
Bachelor of Pharmacy संक्षिप्त परिचय
एक pharmacist का मुख्य कार्य रोगियों के लिए दवाये उपलब्ध कराना होता है। इस कोर्स को करने के बाद Student को pharmaceutical industry में अलग अलग प्रकार के काम करने के लिए तैयार रहना पड़ता है | वैसे भारत में pharmacist का रोल बहुत सीमित होता है लेकिन विदेश का इनका परिदृश्य बिलकुल अलग है |
D pharma
D.Pharma जिसे Diploma in Pharmacy भी कहते है दो साल का डिप्लोमा कोर्स होता है | अगर आपको pharmacy के क्षेत्र में ही जाना है और आपके पास समय की कमी हो या फिर आर्थिक स्तिथि ठीक ना हो तो D.Pharma आपके लिए Best Option है | भारत में Pharmacist बनने के लिए यह minimum qualification होती है | वैसे B.Pharma की वैल्यू ज्यादा होती है लेकिन अगर कोई D.Pharma करने के बाद भी B.Pharma करना चाहे तो ये सम्भव हो सकता है | इसके लिए आपको B.Pharma में सीधे दुसरे साल में प्रवेश मिल जाता है जिसे Lateral entry कहते है |
क्या है डिग्री के बाद इस क्षेत्र में संभावनाएं
• कोर्स पूरा करने के बाद और लाइसेंस मिलने के बाद ग्रेजुएट सरकारी अस्पतालों . प्राइवेट अस्पतालों और प्राइवेट मेडिकल क्लिनिक में pharmacists के तौर पर काम कर सकते है।
• अगर कोई ग्रेजुएट आर्थिक रूप से सम्पन हो तो वो खुद की Medical shop भी खोल सकता है जिसमे काफी कमाई होती है ।
• इन सब के अलावा ग्रेजुएट छात्रों को कई pharmaceutical companies भी Recruit करती है । pharmaceutical company में ग्रेजुएट कई विभागों जैसे manufacturing, packing, quality control, marketing आदि में काम कर सकता है।
• हर राज्य में ग्रेजुएट के लिए कई जॉब भी निकलती रहती है, सरकारी संस्थानों में Drug inspector , powders and ORS manufacturing units और State owned tablets जैसी कई job providers है ।
भारत में भविष्य
वर्तमान में कोरोना जैसे महामारी के आने के बाद फार्मा इंडस्ट्री के लिए कई द्वार खुल चुके हैं। जिसमे विश्व की बड़ी से बड़ी कंपनियां भी भारत मे अपनी शाखाएं खोलने के लिए कोशिश कर रही है, इससे बहुत से फार्मा स्टूडेंट को अपना करियर भारत मे ही बनाने और बढ़ाने का अवसर मिलेगा। साथ ही ये बात सर्वविदित है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा फार्मा उद्योग बन गया है।
ऐसे में आने वाली पीढ़ी अगर फार्मासिस्ट बनने का सपना देखती है या इस पर विचार करती है तब भी यह बेहतरीन करियर ऑप्शन के रूप में देखा जा सकता है।
– पूनम ऋतु सेन