रायपुर,पूनम ऋतु सेन।कोरिया ज़िला अपने घने जंगलों, पहाड़ों, नदियों और जलप्रपातों से भरा पड़ा है। पर्यटन के शौकीन लोगों के लिए यह स्थल एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है। यहाँ की वादियां, पहाड़ियों को चीर कर बने टेढ़े-मेढ़े सड़कें और प्राकृतिक विहंगम दृश्य मन को मोहने के लिए पर्याप्त हैं। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर-पूर्व दिशा में बसे बैकुंठपुर-मनेन्द्रगढ़ के बारे में, जहाँ चिरमिरी की घाटियाँ, झुमका बांध, महामाया मंदिर और प्रसिद्ध अमृतधारा जलप्रपात है।
स्थिति
यह स्थल राजधानी रायपुर से लगभग 300km की दूरी में स्थित है, जबकि कोरिया जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी में मनेन्द्रगढ़-बैकुन्ठपुर सड़क मार्ग में नागपुर ग्रामपंचायत के पास है।
कैसे पहुँचे
- सड़क मार्ग- NH30, NH130 और SH04 में लगभग 6.30 घण्टों में यहाँ पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग- निकटतम रेलवे स्टेशन बैकुंठपुर में हैं, अंबिकापुर, बिलासपुर,रायपुर, दुर्ग, जबलपुर, कटनी आदि से यहाँ पहुँचा जा सकता है। इसके लिए IRCTC की वेबसाइट में ट्रेन SCHEDULE देखा जा सकता है।
कहाँ रुके?
मनेंद्रगढ़ स्थित अमृतधारा में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कॉटेज, रेस्टहाउस, कैंटीन, रेस्टोरेंट एवं सूचना व बुकिंग काउंटर तैयार किया गया है। अब यहां आने वाले पर्यटकों को ठहरने, खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध है। अमृतधारा जलप्रपात पर्यटन समिति द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है। पर्यटक अपने परिजनों के साथ विशेष अवसरों की खुशियां बांटने के लिए प्री बुकिंग भी कर सकते हैं।
घूमने के लिए उत्तम समय
यहाँ वर्ष भर मौसम खुशनुमा बना रहता है, लेकिन बारिश के मौसम में इसका दृश्य अप्रतिम हो जाता है। वैसे यहां आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल के बीच है।
पहला पड़ाव- चिरमिरी कोलियरी- मनेन्द्रगढ़ मार्ग
यह शहर अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण छत्तीसगढ़ का जन्नत कहलाता है। चिरमिरी के निकट ही एशिया की सबसे सुरक्षित कोयला खदान सोनहत स्थित है। महानदी की सहायक नदी हसदेव के तट पर स्थित चिरमिरी कोलियरी 1930 में प्रारम्भ हुई, इसके बाद यहाँ कई खदानें खुलीं । देश में सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने वाला सार्वजनिक उपक्रम साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एस.ई.सी.एल) इसी क्षेत्र में स्थित है।
चिरमिरी कोयला प्रक्षेत्र से जुड़ा हुआ एक उल्लेखनीय तथ्य यह है, कि राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव द्वारा तत्कालीन वॉयसरॉय से किये गये अनुरोध के फलस्वरूव बंगाल-नागपुर रेल लाइन को सन् 1928 में बिजुरी से चिरमिरी तक बढ़ाने का काम शुरू हुआ और सन् 1931 में पूरा हुआ। इससे कोयला परिवहन सरल हो गया।
कोलांचल चिरमिरी खूबसूरत हिल स्टेशन के रूप में भी प्रसिद्ध है। ट्रेन द्वारा चिरमिरी आते समय मनेंद्रगढ़ स्टेशन के पश्चात ही पहाड़ियों के बीच से गुज़रता हुआ घुमावदार रास्ता रोमांचित करता है। बिलासपुर-चिरमिरी मार्ग पर एक के बाद एक करके 36 मोड़ आते हैं, जिसे पार करना अपने आप में अद्भुत अनुभव है। फ़ोटोग्राफ़ी के शौकीनों के लिए यह एक आदर्श स्थल है।
दूसरा पड़ाव- झुमका बांध
यह खूबसूरत बाँध बैकुंठपुर से 5 किमी दूर सागरपुर में गेज नदी पर स्थित है, जो स्थानीय लोगों के बीच झुमका नदी के रूप में जाना जाता है। पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए बांध तक पक्की सड़क का निर्माण कराया गया है। ओड़गी नाका चौक का सौंदर्यीकरण कर कलेक्टर कॉलोनी तक चौड़ी सड़क बनाई गई है। वर्तमान में यहाँ सौन्दर्यीकरण का काम जारी है।
तीसरा पड़ाव- अमृतधारा जलप्रपात
जलप्रपात और विहंगम दृश्यों के लिए प्रसिद्ध ‘अमृतधारा’ जिला मुख्यालय कोरिया से 41 किलोमीटर व चिरमिरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर बैकुण्ठपुर- मनेन्द्रगढ़ राजमार्ग पर स्थित है। यहाँ प्रदेश का एकमात्र चन्दन वन क्षेत्र स्थित है। पेण्ड्रा की पहाड़ियों से निकली हसदेव नदी, संजय नेशनल पार्क, विंध्याचल पर्वत को पारकर अनेक पहाड़ी नदी नालों को अपने में समेटते हुए लगभग 50 मील की दूरी तय करती है और अमृतधारा में आकर एक विशाल जलप्रपात का निर्माण करती है।
हसदेव नदी लगभग 120 फीट (कुछ स्त्रोंतों के अनुसार 90फ़ीट) की ऊँचाई से दो मोटी धाराओं के रूप में गिरती है और लगभग 3सौ वर्गफीट में विशाल कुण्ड का निर्माण करती है।इस जलप्रपात का पुराना नाम विसवाही था, बाद में कोरिया रियासत के राजा ने अमृतधारा नाम दिया। जलप्रपात के पास ही एक प्राचीन शिवमंदिर है, जो लगभग 4 सौ साल पुराना है और कहा जाता है, कि यहाँ के शिवलिंग का आकार स्वत: ही बढ़ रहा है। यहाँ शिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।
इस प्रकार यह क्षेत्र पर्यटन के दृष्टिकोण से निश्चित रूप से बेहतरीन स्थल साबित होगा। यहां आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने जा सकते हैं, साथ ही छतीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति, खेत- खलिहानों से भरे रास्ते, पहाड़ों और नदियों के बीच मोहक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
निवेदन – जब भी आप प्राकृतिक स्थल में जाए, तो सफाई का विशेष ध्यान रखें। जिसमे हमारे प्राकृतिक स्थल को हानि ना पहुंचे, और सैलानियों के लिए लगातार आकर्षण का केंद्र बने रहे।