धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय…….
अर्थात, मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है। अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा ! संत कबीर का ये दोहा युवा के लिए बिल्कुल सटीक बैठता है।
आज की युवा पीढ़ी कॉम्पटीशन की दौड़ में बिना पल भर की देर करे भागते जाना चाहती है फिर चाहे उसके लिए उन्हें कोई भी कीमत चुकानी हो। लेकिन ये संभव नहीं है कोई भी सफलता पाने का एक समय होता है ये आज के यूथ को समझना होगा।
आज की पीढ़ी बेहद महत्वकांक्षी है।
क्या कहते हैं शिक्षाविद
शिक्षाविद अंकित अग्रवाल कहते हैं कि आज की पीढ़ी में धैर्य की बहुत ज्यादा कमी है। यही कारण है कि वो कम समय में सबकुछ पाना चाहते हैं। इससे कभी कभी वो सही तरह से सही दिशा में काम नही कर पाते।
मनोवैज्ञानिको की माने तो आज हर कोई एक रेस में भाग रहे है अपनी गति को वो कम नही करना चाहते बल्कि बढ़ाना चाहते हैं। वास्तव में अभी के समय में कबीर के दोहे एक आत्मसार करने का वक्त है।