काली मोतियों की माला गूंथने के नाम पर रोजगार देने का झांसा देकर दुर्ग जिले की छह हजार से अधिक महिलाओं से करीब एक करोड़ 80 लाख रुपये की ठगी करने वाला आरोपी बहुत ही शातिर निकला। आरोपी व उसके सहयोगी को गिरफ्तार कर दुर्ग लाने के बाद पुलिस ने दोनों से पूछताछ की। इसके बाद आरोपी को पत्रकार वार्ता में लाकर पूरे ठगी के तरीकों और ठगी के रकम के बारे में पूछताछ की गई।
बीकानेर में आरोपी के खिलाफ जब एफआइआर दर्ज हुआ तो वो दुर्ग आया। यहां आकर उसने एक रिक्शे वाले से उसका आधार कार्ड ये बोलकर लिया कि उसे अपने बच्चे को स्कूल लाने ले जाने के लिए रिक्शे की जरूरत है। उसके आधार कार्ड पर अपनी फोटो लगाकर उसने फर्जी आधार कार्ड तैयार किया। इसके बाद आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गुमास्ता लाइसेंस बनवाकर आफिस खोला और फिर ठगी का सिलसिला शुरू किया। उसनेे दो महीने में छह हजार से अधिक महिलाओं से एक करोड़ 80 लाख रुपये की ठगी कर ली। इसके बाद वो अचानक से अपना बोरिया बिस्तर समेटकर फरार हो गया था।
इंदिरा मार्केट दुर्ग के प्रेम कमल कांप्लेक्स में होम ग्रोन कार्पोरेशन के नाम पर आफिस खोलकर महिलाओं से ठगी की गई थी। ग्राम गोगारी तहसील जमालपुर जिला खगड़िया बिहार निवासी आरोपित सानू कुमार उर्फ कुमार सानू (24) ने महिलाओं को काली मोतियों की माला गूंथने का रोजगार देने के नाम पर ठगी की थी। उसने दुर्ग जिले की करीब छह हजार से अधिक महिलाओं को अपना शिकार बनाया था। साढ़े तीन किलो मोती की माला गूंथकर देने पर आरोपित ने साढ़े तीन हजार रुपये मेहनाताना देने का झांसा देकर हर महिला से ढाई ढाई हजार रुपये अमानत राशि के रूप में लिया था।
आरोपी का एक सहयोगी संजय कुमार उर्फ आनंद कुमार (26) निवासी ग्राम रानीपुर थान फुलवारी शरीफ जिला पटना बिहार दिल्ली में रहकर काली मोतियां खरीदकर बेचता था। दो महीने में महिलाओं से एक करोड़ 80 लाख रुपये से ज्यादा की ठगी करने के बाद आरोपित यहां से भाग गया था। यहां से भागने के बाद आरोपित अपने गांव गया। वहां से नेपाल के पोखरा में जाकर अय्याशी की और चार दिन पहले ही वाराणसी पहुंचा था। वाराणसी में पहुंचकर उसने राधेश्याम सिंह नाम के एक मजदूर का आधार कार्ड लेकर उस पर अपनी फोटो लगाकर फिर से फर्जी आधार कार्ड बनवाया था। आरोपित वाराणसी में फर्जीवाड़े का सेटअप तैयार करने ही वाला था, लेकिन उसके पहले ही वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वहीं उसके बयान के आधार पर उसके सहयोगी संजय कुमार उर्फ आनंद कुमार को पटना से गिरफ्तार किया गया।
मुख्य आरोपी सानू कुमार ने पुलिस को जानकारी दी कि महिलाओं से ठगी करने के बाद उसे 60 लाख रुपये की बचत हुई थी। उसने ठगी का कारोबार शुरू करने के लिए गांव के एक व्यक्ति से 12 लाख रुपये उधार लिए थे। गांव जाने के बाद उसने उधार के रुपये वापस लौटाए। अपने घर की मरम्मत की। एक महिंद्रा थार कार खरीदी। दो लाख रुपये की सोने की चेन खरीदी। उसकी मां को मानसिक बीमारी है। उसके इलाज में पांच लाख रुपये खर्च किए। घर पर रुपये छोड़े और कुछ रुपये लेकर अय्याशी करने के लिए नेपाल चला गया। वहां से वाराणसी पहुंचा था और फिर से ठगी के लिए एक नई कंपनी खोलने की तैयारी में था। आरोपितों के पास से एक लाख 64 हजार 500 रुपये नकद, सोने की चेन, महिंद्रा थार गाड़ी जब्त की गई है। आरोपित ने दुर्ग के पहले पटना, हाजीपुर, बरेली, जबलपुर और बीकानेर में भी इसी तरह से महिलाओं से ठगी की थी।
बेउर जेल में रहकर सीखी अपराध से बचने की तकनीकी जानकारी
वर्ष 2016 में ठगी के मामले में ही वह पटना पुलिस के हत्थे चढ़ा था। तब वो एक महीने तक पटना के बेउर जेल में बंद था। वहां पर उसकी मुलाकात तीन अपराधियों से हुई थी। जिन्हें तकनीकी की अच्छी खासी जानकारी थी। उन तीन अपराधियों ने उसे बताया था कि अपराध करने के दौरान उसे कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए। ताकि वो पुलिस के हत्थे न चढ़े। इसलिए आरोपित सबसे पहले फर्जी आधार कार्ड बनवाता था।
आरोपी सानू कुमार ने पुलिस को जानकारी दी कि दिल्ली में रहकर वकालत करने वाला एक वकील 500 रुपये में उसे फर्जी आधार कार्ड बनवाकर देता था। उन्हीं आधार कार्ड पर वो नए सिम खरीदता था और सेकंडहैंड मोबाइल में लगाकर वो पूरी डील करता था। फर्जी नंबरों से वो अपने परिवार किसी भी सदस्य या रिश्तेदारों से कभी भी बात नहीं करता था। उसके पास एक पर्सनल नंबर भी था, लेकिन वो उसे अपने फर्जी नंबरों से बिल्कुल अलग रखता था। आरोपित फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही गुमास्ता व अन्य दस्तावेज बनाकर आफिस खोलता था और ठगी का सिलसिला शुरू करता था।
पाप न लगे इसलिए रोजाना उड़ाता था 100 कबूतर, गाय को खिलाता था 25 किलो चावल
आरोपी सानू कुमार अपराध की कमाई के पाप से बचने के लिए कुछ टोटके भी करता था। वो दुर्ग रेलवे स्टेशन स्टेशन के पास से रोजाना 100 कबूतर खरीदता था और सभी को हवा में उड़ाकर उन्हें आजाद कर देता था। उसने दो महीने में एक लाख 20 हजार रुपये के कबूतर उड़ाए थे। इसके साथ ही आरोपित गाय को रोजाना 25 किलो चावल खरीदकर खिलाता था। आरोपित को लगता था कि यदि वो ये अच्छे काम करेगा तो उसे लोगों की बद्दुआ नहीं लगेगी। वह बहुत ही शातिर है।
इसलिए उसने अपनी फर्जी कंपनी को असली दिखाने के लिए पूरा सेटअप तैयार किया था। आरोपी ने आफिस मेें 30 कर्मचारी रखे थे। जिसमें रिसेप्शनिस्ट, पंजीयन अधिकारी, कैशियर, टेली कालर, दो गार्ड और प्यून भी रखे थे। आरोपित ने गूगल से दुर्ग के बारे में जानकारी जुटाई थी। ओएलएक्स से खाली आफिस खोजा था और 40 हजार रुपये महीने के किराये पर उसे लिया था। आरोपी ने अपने रहने के लिए अनुष्ठा रेसीडेंसी जुनवानी में किराये पर एक फ्लैट लिया था। आरोपित ने दो महीनों में 30 लाख रुपये के मोती लाकर महिलाओं को दिए थे।