राजभवन के आमंत्रण पर पहुंचे बच्चे
रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संबोधित किए गए परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम को राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने स्कूली विद्यार्थियों के साथ राजभवन के कांफ्रेंस हॉल में सुना। राजभवन ने विद्यार्थियों को कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी परीक्षाओं को देखते हुए परीक्षा पे चर्चा के माध्यम से देश भर के विद्यार्थियों द्वारा पूछे गए सवालों के सार्थक जवाब दिए और परीक्षा अवधि में तनाव प्रबंधन, पढ़ाई के तरीकों, सफलता और असफलता का द्वंद, अभिभावकों व शिक्षकों की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप राजभवन सचिवालय द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए राज्यपाल सु उइके के साथ परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम सुनने हेतु आवश्यक व्यवस्था की गई थी। संवाद कार्यक्रम में परीक्षा को लेकर होने वाले तनाव के संबंध में विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि परीक्षा हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। ये हमारे जीवन का एक पड़ाव मात्र है। हमें इससे डरने की नहीं बल्कि आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। आप किसी भी अन्य विद्यार्थी की क्षमता और पढ़ाई से अपनी तुलना मत कीजिए। सभी की अपनी अलग-अलग क्षमता और विशेषता होती है।
समस्या आॅनलाईन या आफलाईन माध्यम की नहीं बल्कि, हमारे मन की: मोदी
आनलाईन शिक्षण की सीमाओं तथा सोशल मीडिया के लत पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समस्या आॅनलाईन या आफलाईन माध्यम की नहीं बल्कि, हमारे मन की है। यदि हम अपने मन पर नियंत्रण रखें और अनुशासन का पालन करें तो आनलाईन शिक्षा ज्ञान का अथाह सागर है। आॅनलाईन हमें ज्ञान पाने के तो आॅॅॅफलाईन हमें उस ज्ञान को व्यवहार में लाने का अवसर देता है। तकनीक को हमें अवसर के रूप में देखना चाहिए न कि चुनौती के रूप में।
जैसे मोबाइल से जुड़े हैं वैसे जीवन से भी जुड़े
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा जिस प्रकार हम आजकल मोबाइल से जुडेÞ रहते हैं। हमें जीवन में खुद से भी जुड़ना चाहिए। यह अपनी क्षमता को पहचानने और खुद को समझने का अवसर देता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस नीति में शिक्षा से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान किया गया है। यह नीति भारत के लाखों लोगों के परिश्रम का परिणाम है। इसमें उन विद्यार्थियों को भी अवसर दिया गया है जो अपनी पढ़ाई के विषयों में परिवर्तन करना चाहते हैं। इस नीति में ज्ञान के साथ कौशल को भी प्राथमिकता में रखा गया है।
हर बच्चे का अपना विशेष सामर्थ्य होता
अभिभावकों की अपेक्षाओं और बच्चों पर अनावश्यक दबाव के संबंध में विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हर बच्चे का अपना विशेष सामर्थ्य होता है। अभिभावकों और शिक्षकों को उस सामर्थ्य को पहचानने की आवश्यकता है। बच्चों पर अपने अधूरे सपनों को न थोपें बल्कि उनके सपनों को पूरा करने में सहायता करें। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप जिस भी तरीके से पढ़ाई करने में सुविधा महसूस करते हैं, उसी तरीके से पढ़ाई करें। किसी भी अनावश्यक दबाव से दूर रहें।
तकनीक व परंपरागत शिक्षा में समन्वय बनाएं: उईके
राज्यपाल सुश्री उइके ने विद्यार्थियों से कहा कि वे तकनीक व परंपरागत शिक्षा में समन्वय बनाएं। दोनों ही पद्धतियों की अपनी विशिष्टताएं हैं। तकनीक के माध्यम से ज्ञान के विपुल संसार से आपका परिचय होता है तथा देश-विदेश की जानकारियां आपको मिलती है, वहीं परंपरागत शिक्षा में विद्वत जनों के सहयोग से शिक्षा के साथ-साथ उनके अनुभव की भी सीख मिलती है। राज्यपाल सु उइके ने कहा कि विद्यार्थी शिक्षा से विद्वता के साथ-साथ संस्कारवान बनते हैं। इस अवसर पर उन्होंने उदाहरण स्वरूप बच्चों को राजभवन की वेबसाईट का अवलोकन कराया तथा इसी प्रकार सभी संवैधानिक, गैर संवैधानिक निकायों की जानकारी व उनके अधिकारों के बारे में वेबसाईट के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने को कहा। राज्यपाल ने कहा कि केवल डिग्री लेना ही विद्वान या सफलता का मानक नहीं है, बल्कि व्यवहारिक ज्ञान अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि अपने परिवेश को स्वच्छ, सुंदर बनाने के साथ ही पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनना होगा। आप सभी वृक्ष लगाएं और उसका संरक्षण भी करें। राज्यपाल उइके ने विद्यार्थियों को आगामी परीक्षा के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने बच्चों के आग्रह पर उन्हें आॅटोग्राफ दिया और उनके राजभवन परिसर के भ्रमण की व्यवस्था की। परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में केन्द्रीय विद्यालय रायपुर, नवोदय विद्यालय माना तथा राजभवन सचिवालय में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अध्ययनरत् बच्चे एवं अभिभावक शामिल हुए।