भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित होने वाले सम्पूर्ण सिंह कालरा (1934) ‘गुलज़ार’ नाम से प्रसिद्ध हैं और हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक, नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं। उनकी रचनाएं मुख्यत हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं। गुलज़ार को वर्ष 2002 में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2004 में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
वर्ष 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में उनके लिखे गीत ‘जय हो’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिए उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। लम्बी फ़िल्मी यात्रा के साथ-साथ गुलज़ार अदब के मैदान में नई-नई मंज़िलें तय करते रहे हैं। नज़्म में इन्होंने एक नई विधा “त्रिवेणी” का आविष्कार किया है, जो तीन पंक्तियों की गैर मुकफ़्फ़ा नज़्म होती है। गुलज़ार ने नज़्म के मैदान में जहां भी हाथ डाला, अपने नयेपन से नया गुल खिलाया। कुछ समय से वो बच्चों की नज़्म-ओ-नस की तरफ़ संजीदगी से मुतवज्जा हुए हैं।