
हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे विधायक सोमवीर सांगवान, विधायक पुंडरी रणधीर गोलन और विधायक धर्मपाल गोंदर ने समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है। इन विधायकों ने राज्यपाल को सूचित भी कर दिया है। विधायकों ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने का ऐलान किया है। गुरुग्राम की बादशाहपुर सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद भी नाराज बताए जा रहे हैं। तीन निर्दलीय के समर्थन खींचने से नायब सैनी सरकार पर संकट आया है।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और आज़ाद रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में फिलहाल 88 विधायक हैं, ऐसे में बीजेपी को मौजूदा विधानसभा की संख्या के आधार पर 45 विधायकों का समर्थन चाहिए, लेकिन सैनी सरकार के पास 43 विधायकों का ही समर्थन है। इसमें से 40 बीजेपी के विधायक, हरियाणा लोकहित पार्टी के एक और दो निर्दलीय हैं। सरकार को अभी भी 2 विधायकों का समर्थन चाहिए। हालांकि बीजेपी को उम्मीद है कि जेजेपी के बागी विधायक सरकार को अपना समर्थन दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री के मीडिया सेक्रेटरी परवीन अत्रे ने दावा किया कि सरकार की सेहत पर कोई संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास बहुमत और सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है। अगर अंक गणित और आंकड़ों को देखा जाए सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन है। इस तरह सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि अगर क़ानूनी दृष्टि से बात की जाए तो सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आ सकता। इससे पहले विधानसभा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जो गिर गया था। क़ानून कहता है कि छह महीने तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।