
कोरिया जिले में किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने बनाई गई नहरों पर अतिक्रमण कर मकान, दुकान और कॉलोनी बसा दी गई है। इसके चलते शहर से गुजरने वाली नहरें अब बेकार साबित हो रही हैं। यह हाल जिले के गेज और झुमका दोनों ही जलाशयों की नहरों का है। गेज की नहर पर महलपारा में अग्रवाल सिटी बसाकर अवैध कब्जा कर लिया गया है। वहीं, झुमका की नहरों पर भी कई जगह मकान, दुकान, आंगनबाड़ी व अन्य निर्माण से पानी नहीं पहुंच रहा है। वन विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि नहर की जमीन से कब्जा हटाने के लिए कार्रवाई चल रही है। संभवत: अगले साल तक नहर कब्जामुक्त हो जाएंगे।
जिले में गेज और झुमका डैम से 7 हजार 342 हेक्टेयर भू-भाग की सिंचाई के लिए 91 किमी में नहर का जाल बिछाया गया है। शहर क्षेत्र में नहर पर कब्जे के कारण 5 किमी तक भी पानी नहीं पहुंच रहा है। बीते दो दशक में जिला मुख्यालय में शहरी बसाहट बढ़ने के कारण किसानी सुविधा को दरकिनार करते हुए नहरों की उपेक्षा की गई है। नहर का बड़ा हिस्सा भू-माफियाओं के कब्जे में है। खेतों में सिंचाई करने किसान पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं या फिर बारिश पर निर्भर हैं। झुमका डैम से नहर का पानी पांच किमी तक भी आगे नहीं बढ़ने से 10 ग्राम पंचायत के हजारों किसानों को सिंचाई लाभ नहीं मिल रहा है। जिला मुख्यालय क्षेत्र की सूखी जमीन को सिंचित करने के लिए शासन ने अब तक इन दो सिंचाई परियोजना के नहर मरम्मत पर ही करोड़ों रुपए खर्च कर डाले हैं। ऐसा नहीं है कि पहले कभी इन नहरों में पानी नहीं आया। 15 साल पहले इन्हीं नहरों से खेतों तक पर्याप्त पानी सिंचाई के लिए किसानों को मिलता था।
खरीफ फसल के लिए गेज डैम से 705 हेक्टेयर और रबी फसल में 266 हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है। डैम के नहर की लंबाई 47 किमी है, लेकिन इसमें बमुश्किल तीन किमी भी पानी नहीं पहुंचता। इसी प्रकार झुमका डैम से खरीफ फसल के लिए 1620 हेक्टेयर और रबी फसल के लिए 600 हेक्टेयर में सिंचाई लक्ष्य है। नहर की लम्बाई 44 किमी है, लेकिन महलपारा, जामपारा, मझगवां, सलका, सलबा के किसान बताते हैं कि नहर में 10 साल से पानी नहीं आ रहा। जिस तरह शहरों के विकास की लाइफ लाइन पक्की सड़कें होती हैं, ठीक वैसे ही ग्रामीण इलाकों में किसानों की लाइफ लाइन पक्की नहर होती है, लेकिन जिले में नहरों की बदहाल हालत देखकर किसानों की आर्थिक स्थिति को समझ सकते हैं।
जूनापारा में झुमका डैम की नहर में नालियों का पानी छोड़ा जा रहा है। शहर से गुजरने वाली 80% नहरों पर लोगों ने कब्जा कर दुकान और मकान बना लिया हैं। अग्रवाल सिटी के निर्माण से पूरी नहर का अस्तित्व ही खत्म हो गया। इसके चलते नहरें जाम हो गई। अब किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने नहर की जमीन से कब्जा हटाना इरिगेशन विभाग लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। झुमका डैम का पानी सागरपुर, ग्राम चेर से आगे नहीं बढ़ता है। जूनापारा, केनापारा के पहले जगह-जगह नहरें टूटी हुई है, जिससे पानी नहीं पहुंच रहा है। ऐसे में देखा जाए तो दो मध्यम सिंचाई परियोजना का लाभ आसपास के गांव के किसानों को ही मिल रहा है। 91 किमी लम्बी बनाई गई नहरों में 90 फीसदी नहरें बेकार साबित हो रही है। कई जगह नहरें जाम हैं।
जल संसाधन विभाग के ईई ए टोप्पो ने बताया कि नहरों की सफाई के लिए इस साल कोई आवंटन नहीं मिला, जिसकी वजह से सफाई और रिपेयरिंग का काम नहीं कराया जा सका है। वहीं नहरों पर अवैध कब्जा को लेकर नोटिस दिया है। अगले साल कब्जा हट जाएगा।