जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की आज 2620वीं जयंती है। हर साल जयंती को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन इस साल कोरोना के कारण आयोजन नही किया जा रहा है।
भगवान महावीर सादगी में विश्वास रखते थे। उनकी रुचि ध्यान और जैन धर्म में होने के कारण उन्होंने 30 वर्ष की आयु में आध्यात्मिक मार्ग अपना कर जैन धर्म का अभ्यास करने का निर्णय लिया और अपना सिंहासन छोड़ा। वे जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने कम उम्र में भौतिक सुख त्यागा और आध्यात्म का मार्ग अपनाया।
ढ़ाई हजार साल पहले ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला से चैत्र शुक्ल तेरस को वर्द्धमान का जन्म हुआ। ये ज्ञातृ वंश और कश्यप गोत्र था। यही वर्द्धमान बाद में स्वामी महावीर बने। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का बसाढ़ गांव वैशाली के नाम से प्रसिद्द था। वर्द्धमान के बड़े भाई नंदिवर्धन व बहन का नाम सुदर्शना था। जब वह आठ बरस के हुए, तो उन्हें पढ़ाने, शिक्षा देने, धनुष आदि चलाना सिखाने के लिए शिल्प शाला में भेजा गया। श्वेताम्बर सम्प्रदाय का मानना है कि वर्द्धमान ने यशोदा से विवाह किया था। उनकी बेटी का नाम था अयोज्ज, लेकिन दिगम्बर सम्प्रदाय की मान्यता है कि वर्द्धमान का विवाह हुआ ही नहीं था और वे बाल ब्रह्मचारी थे।