रायपुर,पूनम ऋतु सेन। छत्तीसगढ़ राज्य अनूठे संस्कृति और प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर राज्य है। यहाँ पर्यटन के लिए राज्य के चारों ओर एक से बढ़कर एक स्थल हैं, इन्हीं में से एक स्थल है मदकू द्वीप जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अवस्थित है। लैंड लॉक्ड राज्य होने के बाद भी राज्य में ही मदकू आइलैंड का होना पर्यटन के लिहाज से स्थानीय लोगों के लिए बेहतरीन स्थल है। चारों ओर पानी से घिरे इस खूबसूरत स्थल को मडकू, मदकू या मनकू द्वीप के नाम से भी जाना जाता है।
स्थिति
राजधानी रायपुर से बिलासपुर हाइवे पर करीब 80 किलोमीटर दूर बेतलपुर गांव है। यहां से लगभग 8 से 10km की दूरी पर चारों ओर नदी से घिरा प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मदकू द्वीप है।
कैसे पहुँचे
सड़क मार्ग- यह जिला मुख्यालय मुंगेली से 40 किमी दूर में सरगांव उप विकासखंड में स्थित है।
रेल मार्ग- बिलासपुर रेलवे स्टेशन से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सरगांव उप विकासखंड तक सड़क मार्ग से जुड़ा है।
रायपुर,बिलासपुर व दुर्ग संभाग और आसपास रहने वाले पर्यटक एक दिन का ट्रिप प्लान कर दोस्तों और परिवार संग इस स्थल में घूमने का आनंद ले सकतें हैं।
स्थल की विशेषताएं
शिवनाथ नदी के पानी से घिरा मदकू द्वीप आम तौर पर जंगल जैसा ही है। शिवनाथ नदी के बहाव ने मदकू द्वीप को दो हिस्सों में बांट दिया है। एक हिस्सा लगभग 35 एकड़ में है, जो अलग-थलग हो गया है। दूसरा हिस्सा करीब 50 एकड़ का है, जहां 2011 में उत्खनन से पुरावशेष मिले हैं। बारिश के दिनों में यहाँ पर्यटन केंद्र की आभा देखते ही बनती है।
मंदिरों का समूह
यहां 19 मंदिरों का समूह है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं, ये सभी मंदिर 11वीं सदी के कल्चुरी कालीन पुरावैभव की कहानी बयां करते हैं। इसे मांडूक्य ऋषि की तपो स्थली के रूप में भी चिन्हित किया गया है। संभवत: यहीं पर ऋषि ने माण्डूक्योपनिषद् की रचना की होगी। ज्ञात हो कि संविधान में समाहित किए गए वाक्य सत्यमेव जयते भी इसी महाकृति के प्रथम खंड का छठवां मंत्र है।
विभिन्न देवी देवताओं की मूर्त्तियां
जानकारों के अनुसार पुरा मंदिरों के समूह वाला गर्भगृह पहले समतल था। जब खुदाई हुई तो वहां 19 मंदिरों के भग्नावशेष और कई प्रतिमाएं बाहर आईं। इसमें 6 शिव मंदिर, 11 स्पार्तलिंग और एक-एक मंदिर क्रमश: उमा-महेश्वर और गरुड़ारूढ़ लक्ष्मी-नारायण मंदिर मिले हैं। खुदाई के बाद वहां बिखरे पत्थरों को मिलाकर मंदिरों का रूप दिया गया है।
तालागांव- रुद्र शिव प्रतिमा
प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही साथ तालागांव में जहां सातवीं शताब्दी की अद्भूत रुद्र शिव की प्रतिमा विराजित है। वहीं मदकू द्वीप में साक्षात केदार तीर्थ का दर्शन होता है। यहां ऐतिहासिक काल के शिवलिंग,नंदी,प्रथम पूज्य गणेश की विभिन्न मुद्राओं में प्रतिमा के अलावा अन्य प्रतिमाओं से मदकू द्वीप की प्राचीनता का आभास होता है।
पौराणिक काल के महत्व के अनुसार यह हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप के नाम से प्रसिद्घ है। नदी के मध्य द्वीप की मान्यता केदार तीर्थ के रूप में होती है। यह क्षेत्र पौराणिक और ऐतिहासिकल काल के साथ ही प्रकृति की गोद में समाया हुआ है।
वर्ष 1987-88 में भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में उत्खनन किया गया है। यह विलक्षण प्रतिमा भारतीय कला में अपने ढंग की एकमात्र ज्ञात प्रतिमा है। शैव संप्रदाय से संबंधित इस प्रतिमा का शिल्प अद्भूत है। शिव के रुद्र अथवा अघोर रूप में सामंजस्य होने के कारण सुविधा की दृष्टि से इसका नामकरण रुद्र शिव किया गया है। विश्व में अपने आप में अनोखी प्रतिमा 2.54 मीटर ऊंची और एक मीटर चौड़ी है। विभिन्न जीव जंतुओं की मुखाकृति से इसके अंग-प्रत्यंग को बनाया गया है। प्रतिमा समपद स्थानक मुद्रा में है। प्रतिमा में गिरगिट, मछली, केकड़ा, मयूर, कच्छप, सिंह आदि जीव जंतुओं का अंग बनाया गया है।
देवरानी- जेठानी मंदिर
छठवीं से दसवीं शताब्दी तक अत्यंत समृद्घ स्थल के रूप में पहचान बनाने वाला ताला शैव तांत्रिकों की अनुष्ठान स्थली रहा है। शैव उपासकों की धार्मिक स्थली रही। तालागांव में अब रुद्र शिव के साथ ही देवरानी जेठानी मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। पुरातत्व विभाग के उत्खनन के बाद ताला में स्थापत्य व मूर्तिकला का रूप सामने आया है। यहां पाषाण युगीन औजार भी मिले है।
इस प्रकार राज्य के अन्य पर्यटन स्थलों की विस्तार पूर्वक जानकारी लेने के लिये EKhabri.com से जुड़े रहें।
निवेदन:- जब भी आप किसी पर्यटन स्थल में जाए, तो सफाई का विशेष ध्यान रखें। जिसमे हमारे प्राकृतिक स्थल को हानि ना पहुंचे, और सैलानियों के लिए लगातार आकर्षण का केंद्र बने रहे।