रामायण का अंतिम ज्ञान यही है की भगवान श्री राम ने प्रजा को संतुष्ट करने कितने कष्ट सहे ,परंतु प्रजा कभी संतुष्ट नही हो सकी….हर किसी को संतुष्ट करने किसी के लिए संभव नहीं। हम स्वयं को संतुष्ट कर सकते है लेकिन दुसरो के मन को संतुष्ट करना, खुश करना बहुत कठिन है।
इससे स्पष्ट है कि देश के राजा को प्रजा की तुष्टीकरण नही बल्कि देशहित व राष्ट्रहित में ही ध्यान देना चाहिये।









