
विभिन्न् क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली 50 से अधिक विभूतियों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। इनमें छह दशक से राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और संप्रग सरकार में विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा और जाने-माने वास्तुविद् बालकृष्ण दोषी (मरणोपरांत) को पद्म विभूषण तो उद्योग क्षेत्र में आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला को पद्म भूषण पुरस्कार दिया गया है। एसएम कृष्णा बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। दोषी को वास्तुकला के प्रति उनके सरल और पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण के लिए जाना जाता था।
पद्म पुरस्कार विजेताओं की घोषणा गणतंत्र दिवस पर की गई थी। इनमें तीन युगल मामलों समेत कुल 106 पुरस्कारों की घोषणा की गई थी। युगल मामले में पुरस्कार एक ही माना जाता है। शेष विभूतियों को अगले समारोह में सम्मानित किया जाएगा। पूरी सूची में देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति और आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला इस मायने में अलग हैं कि वह परिवार के चौथे व्यक्ति हैं जिन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इससे पहले उनके परदादा घनश्याम दास बिड़ला को पद्म विभूषण मिला था, माता राजश्री बिड़ला को 2011 में पद्म भूषण दिया गया था। जबकि रिश्तेदार जीपी बिड़ला को 2006 में सम्मानित किया गया था।
इस वर्ष पद्म भूषण की सूची में उद्योग जगत से वह अकेले व्यक्ति हैं। बिड़ला ने इस सम्मान के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उनके परिवार को राष्ट्र निर्माण और ट्रस्टीशिप की भावना ने हमेशा रास्ता दिखाया है। बिड़ला समूह उन पहले उद्योग समूहों में शुमार है जिसने विदेश में उद्यम स्थापित किए और व्यापक वैश्विक उपस्थिति हासिल की। समूह की कंपनियां छह महाद्वीपों के 36 देशों में संचालित हैं जिनमें लगभग 1.4 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं।
आध्यात्मिक गुरु कमलेश डी. पटेल व गायिका कल्याणपुर को भी पद्म भूषण
देश की प्रख्यात पार्श्व गायिका सुमन कल्याणपुर, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर कपिल कपूर और आध्यात्मिक गुरु कमलेश डी. पटेल को भी पद्म भूषण सम्मान से विभूषित किया गया। कपूर को भारतीय ज्ञान व्यवस्था को एकीकृत करके और समर्पित संस्थानों की स्थापना करके उच्च शिक्षा को स्वदेशी बनाने के प्रयास के लिए जाना जाता है। कमलेश डी. पटेल हार्टफुलनेस मूवमेंट के संस्थापक हैं और उन्होंने कान्हा शांति वनम विकसित किया है जो दुनिया के सबसे बड़े ध्यान केंद्रों में से एक है। सुमन कल्याणपुर ने चार दशक के अपने करियर में हिंदी, मराठी और 11 अन्य भाषाओं में अनगिनत हिट गीत गाए हैं।
राकेश झुनझुनवाला व आरिज खंबाटा को मरणोपरांत पद्मश्री
पुरस्कार प्राप्त करने वालों में स्टाक मार्केट के दिग्गज निवेशक रहे दिवंगत राकेश झुनझुनवाला को मरणोपरांत पद्मश्री दिया गया है। यह सम्मान उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला ने प्राप्त किया। पद्मश्री से सम्मानित हस्तियों में बैगा चित्रकला की प्रसिद्ध कलाकार जोधइया बाई बैगा, छत्तीसगढ़ की पंडवानी व पंथी कलाकार ऊषा बारले, जैव विविधता में उल्लेखनीय योगदान देने वाले केरल के आदिवासी किसान रमन चेरुवायल, गुजरात की माता नी पचेड़ी कला को संरक्षित-प्रोत्साहित करने वाले भानुभाई चुनीलाल चितारा, संकुरात्रि फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी संकुरात्रि चंद्रशेखर शामिल रहे।
संकुरात्रि फाउंडेशन ने बड़ी संख्या में ग्रामीण छात्रों को शिक्षित किया है और 37 लाख से ज्यादा लोगों को आंखों का इलाज उपलब्ध कराया है। शीतल पेय ब्रांड रसना के संस्थापक दिवंगत आरिज खंबाटा को भी मरणोपरांत पद्मश्री प्रदान किया गया है। समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य केंद्रीय मंत्री शामिल हुए।
सिद्धी आदिवासी समाज की हिरबाईबेन ने फैलाई झोली
गुजरात के सिद्धी आदिवासी समाज से संबद्ध हिरबाईबेन का नाम जब पद्मश्री सम्मान के लिए बुलाया गया तो वह भावुक हो उठीं। पहले तो प्रधानमंत्री के सामने पहुंचीं और झोली फैलाते हुए कहा कि कभी किसी ने सिद्धी की ओर देखा तक नहीं था, लेकिन आपने बिन मांगे झोली भर दी। पहली बार देश में राष्ट्रपति भी आदिवासी समाज की महिला हैं और शायद इसी नाते हिरबाई इतनी भावुक नजर आईं कि प्रोटोकाल की परवाह नहीं करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु को गले लगाने की कोशिश भी की और कंधे को सहलाया।
छह जिलों की विभूतियों को पहली बार पद्म सम्मान
पद्म पुरस्कार ग्रहण करने वाली 50 से अधिक विभूतियां देश के 40 जिलों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें से छह जिले ऐसे हैं जिनकी किसी विभूति को पहले पद्म पुरस्कार नहीं मिला था। ये हैं- अनाकापल्ले और काकीनाडा (आंध्र प्रदेश), उमरिया (मध्य प्रदेश), रत्नागिरि (महाराष्ट्र), खोवई (त्रिपुरा) और चिक्काबल्लापुर (कर्नाटक)। पुरस्कार पाने वालों में 10 शख्सियतों की उम्र 90 वर्ष से अधिक और 14 की उम्र 80 वर्ष के आस-पास है।