नंदगांव कौ पंडा ब्रज बरसाने आयौ, भर होरी के बीच सजन समधियाने आयौ…। इन पंक्तियों के मध्य ज्योंही कान्हा की होली का संदेश लेकर आए पंडा ने बरसाना की धरा को स्पर्श किया, राधारानी के चेहरे पर सतरंगी कल्पना की मुस्कान तैर गई। ढोल-नगाड़े का शोर, शहनाई की धुन के बीच रंग-बिरंगे गुलाल उड़ने लगे। पंडा ने लड्डू बरसाते हुए बताया कि अगले दिन कान्हा अपने ग्वाल बाल के साथ होली खेलने आ रहे हैं। फिर क्या था, बरसाना की प्रसिद्ध लड्डू होली में सेवायत और भक्तों ने भी जमकर लड्डू बरसाए। रंगों के इस उत्सव में लड्डुओं की वर्षा से दुनिया भर का आनंद राधारानी के आंगन (ब्रह्माचल पर्वत) में झूम उठा।
सोमवार को लठामार रंगीली होली के ठीक एक दिन पहले लाड़ली जी मंदिर का नजारा श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा था। बरसाना के प्रवेश द्वार से भानु महल तक जगह-जगह ढोल नगाड़ों पर श्रद्धालु थिरक रहे थे। गुलाल और अबीर से रंगों की अद्भुत छटा बिखरने लगी। गोस्वामी समाज के लोगों ने ऊंचे स्वर में ढाप और मृदंग की संगत पर गायन किया। नंदगांव से कान्हा के आगमन की सूचना देने आया पंडा झूम कर नाचा। लड्डू की वर्षा के बीच तमाम श्रद्धालु द्वापरयुगीन लीला के गवाह बने। पीले वस्त्र धारण कर विराजमान राधारानी के समक्ष सुगंधित लड्डू के साथ पंखुड़ियां, रंग-बिरंगे गुलाल की वर्षा ने ब्रजभूमि को रंगमय कर दिया। गुलाल की वर्षा ने होली का प्रारंभ कर दिया। अब मंगलवार को लठामार होली का आनंद होगा।
लड्डू की वर्षा
सोमवार सुबह राधारानी ने कान्हा को होली खेलने को बरसाने आने का संदेश अपनी सखी से नंदगांव भेजा। शाम को नंदगांव से पंडा कान्हा के होली खेलने की सहमति का संदेश लेकर वृषभानु महल पहुंचा। पंडा बने ध्रुव कृष्ण गोस्वामी कनाडा में एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं। सेवायत परिवार के ध्रुव कृष्ण गोस्वामी पंडा बनने के लिए कनाडा से ब्रजभूमि आए हैं। लाड़ली मंदिर सेवायत ने वृषभानु बाबा की ओर से स्वागत किया। संदेश में छिपी होली की मस्ती की कल्पना संजोए तमाम ब्रजवासी लड्डू लेकर मंदिर पहुंचे। कान्हा का संदेश लेकर आए बुजुर्ग ब्रजवासी ने लड्डू की अधिकता देखी तो सोचा नहीं खाए तो हंसी हो जाएगी। वह खुशी में नृत्य करने लगा और लड्डू लुटाने लग गया। चारों तरफ लड्डुओं की वर्षा होने लगी।