
महंगाई में नरमी के बीच दालों की कीमतों में तेजी का ट्रेंड देखा जा रहा है। दालों की कीमतों में आई तेजी ने सरकार को सतर्क कर दिया है। अब सरकार दाल के व्यापारियों के ऊपर पाबंदियां लगाने की तैयारी कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार दाल के व्यापारियों के लिए कुछ दालों के स्टॉक का खुलासा करना अनिवार्य कर सकती है। उनमें पीली मटर, अरहर और उड़द दाल शामिल हैं। सरकार बड़े ट्रेडर्स और रिटेलर्स दोनों के लिए स्टॉक का खुलासा करना अनिवार्य बना सकती है। इससे भंडार को मैनेज करने और दाल की कीमतों को काबू करने में सरकार को मदद मिल सकती है।
कुछ सप्ताह से विभिन्न दालों खासकर पीली मटर, अरहर और उड़द की दाल की कीमतों में तेजी देखी गई है। अप्रैल की शुरुआत में अरहर दाल की कीमतें कुछ बाजारों में काफी बढ़ गईं। एक महीने की तुलना में कीमतों में 100 रुपये तक की तेजी देखी गई। सभी दालों में अरहर की दाल के भाव सबसे ज्यादा हैं। अभी अरहर दाल की औसत कीमत 160 रुपये किलो है। मूंग और मसूर दाल के मामले में भी कीमतों में इसी तरह की तेजी देखी गई।
दालों की महंगाई लगातार सरकार के लिए परेशानी बनी हुई है। जनवरी में दालों की थोक महंगाई 16.06 फीसदी पर थी। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई फरवरी में बढ़कर 18.48 फीसदी पर पहुंच गई। ओवरऑल महंगाई में भले ही कमी आ रही हो, लेकिन दालों की तेज होती महंगाई पर अगर समय रहते काबू नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में इससे परेशानी बढ़ सकती है। फरवरी में खुदरा महंगाई की दर कम होकर 5.09 फीसदी पर आ गई थी।