रायगढ़। अजा वर्ग की युवती को अपने झांसे में लेते हुए शादी करने का प्रलोभन देकर उसका दैहिक शोषण करने और गर्भ ठहरने के बाद शादी करने से मुकर जाने वाले आरोपी को अजा-अजजा (अत्याचार) अधिनियम के विशेष न्यायालय ने आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा से दंडित किया है । प्रकरण में खरसिया थाना अंतर्गत ग्राम कुनकुनी निवासी आरोपी बबलू डनसेना पिता कुशल सिंह 26 वर्ष पर धारा 376 (2), (ढ), 493 , 417 और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (2) (वी) के तहत दुष्कर्म करने का आरोप था । अभियोजन के अनुसार प्रकरण का संक्षेप इस प्रकार है कि अजा वर्ग की पीडि़ता का आरोपी से अप्रैल 2017 से पहचान हुई। आरोपी ने पीडि़ता को शादी करने का प्रलोभन दिया और 25 अप्रैल 2017 से लेकर 25 मई 2019 तक की अवधि उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा, जब भी पीडि़ता शादी की बात करती, आरोपी उसे झांसा देता रहा। इस बीच पीडि़ता गर्भवती हो गई। पीडि़ता ने आरोपी को उसके गर्भवती हो जाने की जानकारी दी और शादी करने के लिए कहा तब आरोपी ने शादी करने से इनकार कर दिया । पीडि़ता जब आरोपी की ओर से 7 माह के गर्भ में थी तब घटना के बारे में अपने माता-पिता और बड़ी मां को बतायी जिसके बाद खरसिया थाने में आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। प्रकरण में दोनों पक्षों की दलीलों व साक्ष्यों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी बबलू डनसेना पर दोषसिद्ध होने पर विशेष न्यायालय के जज जितेन्द्र जैन ने आरोपी को धारा 376 (2) (ढ) के तहत 10 साल सश्रम कारावास व 60 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 417 के तहत 1 साल सश्रम कारावास और अजा-अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3 (2) ( वी ) के तहत आजीवन कारावास व 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया है जबकि साक्ष्यों के अभाव में धारा 493 के अपराध से दोषमुक्त किया गया है । आरोपी द्वारा अर्थदंड की राशि अदा न करने पर उसे क्रमश: 6-6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा । आरोपी को दी गई कारावास की सभी सजायें साथ-साथ चलेंगी । इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अनूप कुमार साहू ने पैरवी की।