फेफड़ों के कैंसर को अमेरिका समेत विश्व के अन्य देशों में सर्वाधिक घातक माना जाता है। अधिकांश मौजूदा दवाओं के कम असरदार होने के कारण मरीजों के पास विकल्प भी सीमित रह जाता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि फेफड़ों के कैंसर के इलाज में नवीन बैक्टीरियल थेरेपी कारगर साबित हो सकती है। पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रयोगशाला से क्लीनिकल ट्रायल तक में यह प्रभावी साबित हुई है। दवाओं के संयोजन से इसके असर को बेहतर किया जा सकता है।
अमेरिका स्थित कोलंबिया इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने फेफड़ों के कैंसर के इलाज संबंधी एक नया माड्यूल विकसित किया है। इसमें कैंसर के इलाज में बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है। अध्ययन निष्कर्ष 13 दिसंबर को साइंटिफिक रिपोर्ट नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का दावा है कि बैक्टीरियल थेरेपी को फेफड़ों के कैंसर के इलाज की अन्य पद्धतियों के साथ संयोजित किया जा सकता है। ऐसा करने पर उसका कोई प्रतिकूल असर भी नहीं होगा।
बायोमेडिकल इंजीनियरिग स्थित प्रोफेसर टैल डेनिनो की प्रयोगशाला में फेफड़ों के कैंसर पर जीवाणु विषाक्त पदार्थों के प्रभाव का अध्ययन करने वाले एसोसिएट रिसर्च साइंटिस्ट ध्रुबा देब के अनुसार, “हमने ट्यूमर के इलाज के लिए अपने माड्यूल में उन्नत उपायों को शामिल किया है, ताकि वह प्रभावी व सुरक्षित साबित हो। कैंसर के कारण बड़ी संख्या में लोग अपनों को खो देते हैं। मैं चाहूंगा कि फेफड़ों के कैंसर के इलाज की इस रणनीति तक सभी की पहुंच हो।”